येदियुरप्पा ने दिया मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा

बेंगलूरू। मुख्यमंत्री पद से त्यागत्र देने से पहले बी एस येदियुरप्पा ने आज अपने भावपूर्ण भाषण में कांग्रेस – जदएस पर ‘अवसरवादी’ गठनबंधन बनाने तथा ‘षड्यंत्र’ कर लोकप्रिय जनादेश को पलट देने का आरोप लगाया। येदियुरप्पा ने संख्या बल अपने पक्ष में नहीं होने के चलते आज विश्वासमत पर मत विभाजन से पहले ही इस्तीफा दे दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि जदएस – कांग्रेस गठबंधन ने विधायकों को बंधक बना लिया। उन्होंने विश्वास मत का प्रस्ताव पेश करने के बाद सदन में कहा, ‘‘आपने विधायकों को बंधक बनाया। उन विधायकों की स्थिति इतनी खराब हो गयी थी कि वे फोन पर अपने परिवारों से भी बातचीत नहीं कर पा रहे थे।’’ कांग्रेस एवं जदएस पर कटाक्ष करते हुए येदियुरप्पा ने कहा , ‘‘ आज परिवारवाले कुछ हद तक प्रसन्न होंगे क्योंकि वे उन्हें (विधायकों को) देख पा रहे हैं।’’ राज्यपाल वजुभाई वाला ने येदियुरप्पा को 15 दिनों का समय दिया था। किंतु उच्चतम न्यायालय ने इस समयावधि को सीमित करते हुए एक दिन के भीतर ही सदन में शक्ति परीक्षण करवाने के लिए कहा।

येदियुरप्पा ने कहा कि न तो जदएस और न ही कांग्रेस को जनादेश मिल है। उन्होंने कहा कि आरोप – प्रत्यारोप लगाने वाले लोग चुनाव में पराजित होने के बाद जनादेश के खिलाफ ‘अवसरवादी राजनीति’ में संलिप्त हो गये और उनके बीच आपस में सहमति बन गयी। येदियुरप्पा ने कहा कि राज्यपाल ने भाजपा को आमंत्रित किया क्योंकि यह सबसे बड़े राजनीतिक दल के रूप में उभरी। उन्होंने कहा , ‘‘ मुझे आज लगाया कि यह अग्निपरीक्षा की तरह होगा। यह पहली बार नहीं है। मैंने पूरे जीवन अग्निपरीक्षाएं दी हैं।’’ उन्होंने राज्य में महज दो सीटों से शुरू कर वर्तमान स्थिति तक पहुंचने की भाजपा की राजनीतिक यात्रा का उल्लेख किया। येदियुरप्पा ने दार्शनिक अंदाज में कहा , ‘‘ यदि राज्य के लोगों ने हमें 113 सीटें देकर राज्य में दूसरे अंधड़ के बारे में सोचा होता तो राज्य की स्थिति, राज्य के विकास की स्थिति भिन्न ही होती। किंतु ईश्वर की कुछ और ही इच्छा है।’’ येदियुरप्पा ने इस बात को स्वीकार किया कि वह विपक्षी विधायकों से पाला बदलकर उनके पक्ष में मतदान करने के बारे में उम्मीद कर रहे थे।
उन्होंने कहा, ‘‘यह सत्य है कि मैंने उनमें (विपक्षी विधायकों में) से कुछ से बातचीत की थी।’’ येदियुरप्पा ने कहा कि भाजपा लोकतांत्रिक व्यवस्था में भरोसा करती है। उन्होंने कहा कि वह उम्मीद करते थे कि दूसरी तरफ के विधायक इस बात को समझेंगे कि यदि उनकी सरकार सत्ता में आयी तो आज की राजनीति स्थिति, चीजें बदल जाएंगी , ऐसे में जबकि नरेन्द्र मोदी सरकार केन्द्र में हो। ‘‘ कुछ लोगों ने सहयोग करने पर सहमति भी जतायी थी।’’ बहरहाल, उन्होंने कहा, ‘‘राजनीति में सवाल करने वाला मैं कौन हूं? आकांक्षाएं अलग हैं। मतभेद हो सकते हैं?’’ उन्होंने कहा कि वह अपनी अंतिम सांस तक कर्नाटक का दौरा करते रहेंगे। उन्होंने कहा कि विकास के बारे में समझाएंगे और इस बात को सुनिश्चित करेंगे अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी राज्य की सभी सीटें जीतें ताकि उन्हें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को उपहार स्वरूप भेंट किया जा सके।
कुमारस्वामी के बारे में उन्होंने कहा, ‘‘मैं संघर्षों के जरिये बढ़ा हूं। किसी ने कहा कि यदि आपने मुझे सत्ता नहीं दी तो मैं अपना जीवन समाप्त कर लूंगा। मुझे सत्ता मिलेगी या नहीं, मैं लोगों के लिए अपनी जान दूंगा।’’ येदियुरप्पा ने कहा कि मैं लोगों का ऋणी हूं जिन्होंने मेरे प्रति प्रेम दर्शाया है। ‘‘’कांग्रेस के मित्रों की साजिश के कारण जनादेश एवं लोकतांत्रिक व्यवस्था को पलट दिया गया।’ उन्होंने कहा, ‘‘इन सबके चलते मैं विश्वास मत प्रस्ताव पर बल नहीं दूंगा और मैं इस्तीफा दे दूंगा। मैं लोकतत्रं विरोधी इस राजनीति के खिलाफ लोगों के पास जाऊंगा और न्याय की गुहार लगाऊंगा। मैं सीधे राज्यपाल के पास जाऊंगा और मुख्यमंत्री के रूप में अपना त्यागपत्र दूंगा।’’

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