उत्तराखंड में महिलाएं वन प्रबंधन में भी निभाएंगी अहम भूमिका, बुझाएंगी वनाग्नि
वनाग्नि प्रबंधन से जुड़े कामों के लिए ऐसी योजना तैयार की जाए, जिसमें पांच हजार महिलाओं की भागीदारी हो। जानबूझ कर आग लगाने वालों को चिह़िनत करते हुए कार्रवाई की जाए। जंगल की आग से जो भी नुकसान हो, उसका आपदा के मानक के अनुसार तत्काल राहत राशि भी पीडि़तों मिल जानी चाहिए। सीएम ने आपदा प्रंबधन विभाग को हेलीकॉप्टर की व्यवस्था रखने को कहा है। बैठक में मुख्य सचिव ओमप्रकाश, प्रमुख सचिव आनंदबर्द्धन, सचिव अमित नेगी, नीतेश झा, पीसीसीएफ राजीव भरतरी सहित वन विभाग के अधिकारी, कमिश्रर और डीएम मौजूद रहे।
उत्तराखंड में गर्मियों के दौरान जंगलों में लगने वाली आग को नियंत्रित करने और वनों की सुरक्षा के लिए सरकार पांच महिलाओं को साथ लेकर योजना तैयार करेगी। सीएम तीरथ सिंह रावत ने वनाग्नि प्रबंधन की समीक्षा करते हुए कहा कि आग बुझाने के लिए आपदा प्रबंधन विभाग को हेलीकॉप्टर का इंतजाम रखने को कहा है। सीएम ने फायर लाइन की निगरानी के लिए ड्रोन से सर्वे कराने के निर्देश दिए हैं। सीएम ने कहा कि वनाग्नि प्रबंधन में वन पंचायत और स्थानीय लोगों की भागीदारी बेहद जरूरी है। स्थानीय लोगों के हकहकूक का समय पर वितरण किया जाना चाहिए। डीएम नियमित रूप से वनाग्नि प्रबंधन की समीक्षा करें और सभी जरूरी संसाधन की उपलब्धता को सुनिश्चित कराएं।
2500 किलोमीटर हैं फायर लाइन राज्य में
वन अधिकारियों ने बताया कि प्रतिवर्ष लगभग 36 हजार हैक्टेयर वन क्षेत्र में वनाग्नि को रोकने के लिए नियंत्रित तरीके से आग लगाई जाती है। करीब 2700 किमी फायर लाइन का रखरखाव किया जाता है। स्थानीय निवासियों से प्रतिवर्ष लगभग 7000 फायर वाचर अग्निकाल में लगाए जाते हैं। 40 मास्टर कंट्रोल रूम, 1317 कू्र स्टेशन और 174 वाच टावर स्थापित हैं।