देहरादून। आंखों में ज्योति नहीं तो क्या, विपरीत परिस्थितियों में सफलता हासिल करने का जज्बा तो है। राष्ट्रीय दृष्टिबाधितार्थ संस्थान (एनआइवीएच) के छात्र-छात्राओं ने इसे सिद्ध कर दिखाया है। शारीरिक अक्षमता के बावजूद हौसले के दम पर दुनिया को जीतने की इच्छाशक्ति इनमें है। देश के ये कर्णधार आइएएस, समाज सेवक, लेक्चर बनकर देश सेवा करना चाहते हैं।
राष्ट्रीय दृष्टिबाधितार्थ संस्थान के छात्रों ने एक बार फिर साबित किया कि वह भी किसी से कम नहीं हैं। शनिवार को घोषित हुए सीबीएसई बारहवीं के नतीजों में एनआइवीएच के छात्रों ने अलग मुकाम हासिल किया है। है। संस्थान की छात्रा पूजा कुमारी ने उत्तराखंड में आठवां स्थान हासिल किया है। उन्होंने इतिहास, राजनीति शास्त्र व हिंदी में 100 में से 100 नंबर हासिल किए हैं। वह अरवल बिहार की रहने वाली हैं। पिता कुश कुमार मिलिट्री स्कूल में प्रधानाध्यापक हैं। मां वीणा देवी गृहणी। माता-पिता को अपनी बेटी की इस उपलब्धि पर गर्व है। बारहवीं में उसने 97.8 प्रतिशत अंक हासिल किए हैं।
पूजा का कहना है कि वह शिक्षिका बनना चाहती है। इसके साथ ही वह सिविल सेवा की तैयारी करेगी। आगे जाकर वह प्रशासनिक सेवा में जाने की इच्छा रखती है। उनकी सहपाठी राखी कुमारी का सपना शिक्षिका बनने का है। राखी को शुरुआत से आंखों में हल्की दिक्कत थी। करीब चार साल पहले उन्हें बिल्कुल दिखना बंद हो गया। लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और खुद को साबित कर दिखाया।
बारहवीं में उन्हें 94.6 प्रतिशत अंक हासिल किए हैं। वह रेवाड़ी हरियाणा की रहने वाली हैं। पिता सुंदर लाल सेना से रिटायर हैं। संस्थान में तीसरे स्थान पर रमेश रहे हैं। जिन्होंने 91.6 प्रतिशत अंक हासिल किए हैं। प्रधानाचार्य कमलबीर सिंह जग्गी ने बताया कि इस बार संस्थान के 20 छात्रों ने बारहवीं उत्तीर्ण की है। जिनमें 9 छात्राएं हैं। सभी विद्यार्थी प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हुए हैं। पांच छात्र-छात्राएं 90 प्रतिशत से ऊपर व 17 छात्र-छात्राओं ने 75 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त किए हैं। 20 में 19 छात्र-छात्राओं को 70 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त करने पर दो हजार रुपये प्रतिमाह छात्रवृत्ति दी जाएगी।