रिस्पोंस टाइम कम पर वनाग्नि पर होगा काबू
तीरथ ने कहा कि वनाग्नि से क्षति होने पर प्रभावितों को जल्द से जल्द मुआवजा दिया जाए। फील्ड स्तर पर गाड़ियों व उपकरणों की कमी नहीं होनी चाहिए। कहा कि वनों का संरक्षण, उत्तराखंडवासियों की परम्परा में है, परंतु कुछ शरारती तत्व जानबूझकर वनों में आग लगाते हैं। ऐसे तत्वों की पहचान कर कठोर कारवाई की जाए। कुंभ मेला क्षेत्र पर भी विशेष ध्यान दिया जाए।
सीएम तीरथ सिंह सिंह रावत ने जंगलों की आग बुझाने में वन पंचायतों का सहयोग लेने के निर्देश दिए हैं। साथ ही कहा है कि इस काम से बच्चों और बुजुर्गों को दूर रखा जाए। रविवार को वीडियो कांफ्रेंस के जरिए वनाग्नि रोकथाम समीक्षा बैठक में तीरथ ने कहा कि आग लगने की सभी घटनाओं की सूचना कंट्रोल रूम को तत्काल मिल जानी चाहिए, साथ ही रिस्पोंस टाइम भी कम रखा जाए। उन्होंने कहा कि आग बुझाने में वन पंचायतों सहित स्थानीय लोगों का सहयोग लिया जाए परंतु इस बात का ध्यान रखा जाए कि बच्चें और बुजुर्ग आग बुझाने के लिए न जाएं। घटनाओं पर रोकथाम के लिए लोगों को जागरूक किया जाए।
बैठक में अफसरों ने बताया कि प्रदेश में इस वर्ष वनाग्नि की 983 घटनाएं हो चुकी हैं। जिससे 1292 हेक्टेयर वन क्षेत्र प्रभावित हुआ है। वर्तमान में 40 एक्टिव फायर चल रही है। नैनीताल, अल्मोड़ा, टिहरी और पौड़ी गढ़वाल वनाग्नि से अधिक प्रभावित हैं। वनाग्नि रोकने के लिए 12 हजार वन कर्मी लगे हैं। 1300 फायर क्रू स्टेशन बनाए गए हैं। वर्चुअल बैठक में मुख्य सचिव ओमप्रकाश, डीजीपी अशोक कुमार, प्रमुख वन संरक्षक राजीव भरतरी, सचिव अमित नेगी, शैलेश बगोली, एसए मुरूगेशन उपस्थित हुए।