उत्तराखंड की पहली महिला विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी ने सीएम धामी से शिष्टाचार मुलाकात की। बता दें कि राज्य सरकार ने अब तक मंत्रियों को विभाग नहीं बांटे हैं। काम चलाने के लिए केवल मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल को संसदीय और विधायी कार्य विभाग दिया गया है। उत्तराखंड में बीती 23 मार्च को मुख्यमंत्री के रूप में पुष्कर सिंह धामी और अन्य काबीना मंत्रियों ने शपथ ले ली थी। इसके छह दिन बीतने के बाद भी मंत्रियों को विभाग नहीं बांटे जा सके हैं।
दूसरी ओर उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शपथ ग्रहण के चौथे दिन मंत्रियों को विभाग बांट दिए गए। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के मंत्रिमंडल में आठ काबीना मंत्री हैं। मंत्रियों को विभाग तय करने की मशक्कत अभी पूरी नहीं हो पाई है।
मंगलवार को सदन में मंत्री बैठेंगे तो सही लेकिन बिना पोर्टफोलिया के। दूसरी तरफ, सदन के प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस भी अपना विधायक दल नेता तय नहीं कर पाई है। सोमवार दोपहर प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव ने विधायकों से राय मशविरा तो किया, लेकिन नेता प्रतिपक्ष चुनने का अधिकार सभी ने राष्ट्रीय अध्यक्ष पर छोड़ दिया है।
विधायक सदन में मौजूद रहें
भाजपा की विधानमंडल दल की बैठक में मंगलवार से शुरू हो रहे विधानसभा सत्र को लेकर चर्चा हुई। इस दौरान पार्टी के विधायकों को सत्र के दौरान सदन में मैजूद रहने के निर्देश दिए गए। इसके साथ ही नए विधायकों को सदन के नियमों के साथ ही अन्य अहम जानकारी दी गई।
भाजपा विधानमंडल दल की बैठक सोमवार को मुख्यमंत्री आवास में हुई। संसदीय कार्यमंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने बताया कि विधायक मंडल दल की बैठक में सदन की जानकारी देने के साथ सत्र को लेकर जानकारी दी। बैठक में भाजपा के सभी विधायक मौजूद थे।
विधानसभा सत्र को तैयार रहें अफसर
विधानसभा सत्र के लिए मुख्य सचिव एसएस संधु में संबंधित अफसरों को तैयार रहने के निर्देश दिए। संधु ने कहा कि विधायकों की ओर से सदन में उठाए जाने वाले सवालों के जवाब तैयार किए जाएं। मुख्य सचिव ने अफसरों को सभी जिलों से जुड़े संभावित सवालों की सूची सौंप दी है।
मुख्य सचिव ने कहा कि भूकानून में संशोधन और हिमाचल की तर्ज पर भू कानून, महंगाई, बेरोजगारी, सिपाही 4600 ग्रेड पे, उपनल, पीआरडी, आउटसोर्स, संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण और समान काम का समान वेतन से जुड़े सवाल सदन में उठ सकते हैं। इसके साथ ही आपदा प्रभावित क्षेत्रों में वर्तमान तक राहत राशि न बंटने, पहाड़ों पर गर्भवती महिलाओं की मौत(
स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव, राज्य आंदोलनकारियों के चिन्हिकरण, आरक्षण, पुरानी पेंशन बहाली, भोजनमाताओं का मानदेय बढ़ाने, अवैध खनन, गैरसैंण स्थायी राजधानी, नए जिलों का गठन, जंगली जानवरों से फसलों को बचाने, विभागों में खाली पदों को भरने, लोकायुक्त की नियुक्ति से जुड़े सवाल भी उठ सकते हैं।
सत्र से पहले स्पीकर ने विधानसभा में कराया यज्ञ
विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूडी ने पांचवीं विधानसभा के शुभारंभ से पहले सोमवार को विधानसभा परिसर में यज्ञ कराया। इस दौरान वैदिक मंत्रोच्चार के साथ हवन किया गया। इसमें अध्यक्ष के साथ विधानसभाकर्मियों ने भी आहूति देकर कर्तव्यों का ईमानदारी से पालन करने का संकल्प लिया।
विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि वह अपने जीवन के महत्वपूर्ण कार्यों से पहले हमेशा यज्ञ करवाती हैं। विधानसभा अध्यक्ष ने कर्मचारियों से कहा कि हमें विधानसभा में नए कीर्तिमान स्थापित करने हैं। उत्तराखंड विधानसभा को देश की आदर्श विधान सभा के रूप में स्थापित करने का लक्ष्य है।
उन्होंने अधिकारियों-कर्मचारियों से अपनी जिम्मेदारी का पालन पूरी ईमानदारी से करने की अपील की। इस अवसर पर विधानसभा के सचिव मुकेश सिंघल, अपर सचिव चंद्र मोहन गोस्वामी, संयुक्त सचिव नरेंद्र रावत, हेम गुरुरानी, अजय अग्रवाल, मयंक सिंघल सहित अनेक अधिकारी और कर्मचारी मौजूद रहे।
पुष्कर सिंह धामी सरकार के मंत्री नौकरशाहों की वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट (एसीआर) लिखने का अधिकार मांगने के लिए लामबंद हो गए हैं। वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज इस मुद्दे को जोर-शोर से उठा रहे हैं। अन्य मंत्रियों ने भी महाराज की मुहिम से सहमति जताई है।
धामी सरकार की 24 मार्च को हुई पहली कैबिनेट बैठक में महाराज ने इस मुद्दे को उठाया था। तब मुख्यमंत्री ने इस पर बाद में चर्चा करने की बात कहकर सभी को शांत कर दिया। सोमवार को विधानसभा में महाराज ने स्पष्ट कहा कि नौकरशाही को बेलगाम होने से बचाने के लिए मंत्रियों को एसीआर लिखने का अधिकार देना जरूरी है।
महाराज ने कहा कि यूपी, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा झारखंड, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, बिहार में मंत्रियों को यह अधिकार है, लेकिन उत्तराखंड में नहीं है। यह दुभार्ग्यपूर्ण है। कई मंत्रियों ने नाम न छापने की शर्त पर महाराज की मुहिम का समर्थन किया।
तिवारी सरकार में था यह अधिकार
उत्तराखंड में एनडी तिवारी सरकार में मंत्रियों को नौकरशाहों की एसीआर लिखने का अधिकार था, लेकिन इसके बाद यह खत्म कर दिया गया। नौकरशाहों की वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट सीधे मुख्यमंत्री को भेजे जाने लगी।
मंत्री और नौकरशाहों में हो चुका है विवाद
वर्ष 2020 में तत्कालीन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रेखा आर्य और सचिव वी षणमुगम के बीच आउटसोर्स कर्मचारियों के भर्ती के लिए चयनित एजेंसी को लेकर विवाद हुआ था। निदेशक ने सचिव की अनुमति के बगैर फाइल देने से इनकार कर दिया था। विवाद बढ़ने पर षणमुगम ने यह विभाग खुद ही छोड़ दिया था। तत्कालीन स्पीकर प्रेमचंद अग्रवाल ने गैरसैंण विकास प्राधिकरण की बैठक बुलाई पर उसमें अफसर आए ही नहीं।
मुख्यमंत्री का होता है अंतिम फैसला
कार्मिक विभाग के अनुसार सचिव अपनी सीआर मुख्य सचिव को भेजते हैं। टिप्पणी के बाद इसे मुख्यमंत्री को भेजा जाता। सीआर पर अंतिम राय मुख्यमंत्री की ही होती है। वे टिप्पणी हटा भी सकते हैं और उसे जोड़े भी रख सकते हैं।