त्रिवेंद्र रावत सरकार के तीन वर्ष पूरे होने के मौके पर आखिरकार राज्यवासियों को गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने के बएलान के रूप में बड़ा तोहफा दे दिया है। गैरसैंण को राजधानी की घोषणा मार्च महीने में कर दी गई थी।
राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने भराड़ीसैण (गैरसैंण) जिला चमोली को उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित करने की स्वीकृति प्रदान कर दी है। इसके बाद प्रदेशवासियों में खुशी की लहर है।
भाजपा ने जनता से यह वादा किया भी था, जिसे अब उसने साकार कर दिया है। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनावों से पहले भाजपा ने अपना जो दृष्टि पत्र जारी किया था।
उत्तराखंड के राज्यपाल ने दी गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने की मंजूरी
उसमें भी गैरसैंण को राजधानी स्तर की अवस्थापना सुविधाएं से सुसज्जित कर सभी की सहमति से ग्रीष्णकालीन राजधानी घोषित करने पर विचार करने का भरोसा दिया था।
दृष्टिपत्र में कहा गया था कि स्थायी राजधानी के लिए विभिन्न विकल्पों पर शीर्ष निर्वाचित संस्था और विधानसभा में विचार किया जाएगा।
विधानसभा चुनावों में राज्य की जनता ने भाजपा पर भरोसा जताते हुए बंपर 57 सीटें दी। राज्य के इतिहास में किसी भी राजनीतिक दल को अभी तक इतनी सीटें नहीं मिल पाई थी। त्रिवेंद्र सरकार के इसी माह 18 मार्च को तीन साल पूरे होने जा रहे हैं।
सीएम त्रिवेंद्र रावत ने गैरसैंण सदन में ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने का ऐलान कर राज्यवासियों को होली के मौके पर रंगों से सरोबार भी कर दिया है।
उत्तराखंड की विषम भौगोलिक परिस्थितियों के चलते राज्यवासियों ने अलग राज्य की मांग को लेकर लंबा संघर्ष किया था। इस आंदोलन में 36 आंदोलनकारियों को शहीद होना पड़ा था, जबकि बड़ी संख्या में लोग घायल भी हुए थे।
उत्तराखंड की मातृशक्ति के बल पर नवंबर, 2000 में यूपी से अलग होकर अलग राज्य बना था। हालांकि, आंदोलनकारी गैरसैंण को राजधानी बनाने की मांग कर रहे थे, लेकिन वहां संसाधन न होने पर देहरादून को अस्थायी राजधानी बनाया गया।
भाजपा ने यह वादा पूरा कर एक तरह से बढ़त बना ली है। त्रिवेंद्र सरकार के इस ऐलान से भाजपाई गदगद हैं। हालांकि नए वित्तीय वर्ष के बजट में ग्रीष्मकालीन राजधानी के लिए फिलहाल कोई राशि निर्धारित नहीं है।
लेकिन भाजपा ने गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाकर अपना रूख पूरी तरह से साफ कर दिया है। इससे कांग्रेस बैकफुट पर आती दिखाई दे रही है।