उत्तराखंड सरकार ने दिए दूसरी जाति और धर्म में शादी को लेकर जारी प्रेस रिलीज के जांच के आदेश

उत्तराखंड सरकार ने दिए दूसरी जाति और धर्म में शादी को लेकर जारी प्रेस रिलीज के जांच के आदेश

सीएम रावत ने राज्य के चीफ सेक्रेटरी को इस प्रेस रिलीज और संबंधित अधिकारी के खिलाफ जांच के आदेश दिए हैं। इसकी पुष्टि करते हुए सीएम रावत के मीडिया कॉर्डिनेटर ने कहा, मुख्यमंत्री ने मामले का संज्ञान लिया है। जांच के आदेश जारी किए गए हैं। उन्होंने ये भी कहा,”जांच के आदेश दिए गए हैं कि किस आधार पर जिला सामाजिक कल्याण अधिकारी ने एक सरकारी योजना के लिए प्रेस रिलीज जारी की है। जबकि राज्य सरकार धार्मिक परिवर्तन करके किए गए किसी भी अंतर धार्मिक विवाह के खिलाफ है। मीडिया कॉर्डिनेटर ने बताया कि सन 2000 से,जब से उत्तराखंड बना है तब से राज्य में यह योजना लागू है। साल 2000 में जब अलग उत्तराखंड का निर्माण हुआ था तो उत्तराखंड राज्य ने इस कानून को यूपी से लिया था।

देश में इस समय शादियों का सीजन है। इस सीजन के अलावा भी शादियों पर चर्चा गरम है। एक ओर जहां उत्तर प्रदेश के पद चिन्हों पर चलते हुए मध्य प्रदेश और हरियाणा ने लव जिहाद कानून बनाने पर विचार किया है वहीं दूसरी ओर उत्तराखंड में कुछ अलग ही मामला सामने आया है। दरअसल टिहरी गढ़वाल के जिला समाज कल्याण अधिकारी के हवाले से आई एक प्रेस रिलीज के कारण विवाद खड़ा हो गया है। इसमें अंतरजातीय और अंतर धार्मिक शादियां करने वाले जोड़ों को 50 हजार रूपयों की धनराशि देने की बात कही गई थी। अब उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस मामले में जांच के आदेश दिए हैं।

रविवार को यह प्रेस रिलीज सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर राज्य सरकार की कड़ी आलोचना हुई थी। ट्विटर के बहुत से यूजर्स ने सरकार पर आरोप लगाया कि एक ओर जहां अन्य राज्य लव जेहाद पर कानून बना रही हैं वहीं दूसरी ओर उत्तराखंड सरकार अंतरधार्मिक शादियों को बढ़ावा दे रही है। बता दें कि पहले इस स्कीम के तहत विजातीय और दूसरे धर्म में शादी करने वाले लोगों को 10 हजार रुपए की प्रोत्साहन राशि दी जाती थी। लेकिन 2014 में राज्य सरकार ने उत्तर प्रदेश अंतरजातीय अंतरधार्मिक विवाह प्रोत्साहन नियमावली 1976 में संशोधन करके 10 हजार की रकम को बढ़ाकर 50 हजार रुपए कर दिया।

उत्तराखंड में कांग्रेस विपक्ष में है। इस मामले में सरकार पर प्रश्न उठाते हुए कांग्रेस ने कहा यदि सरकार हम परधनराशि बढ़ाने का आरोप लगा रही है तो इतने सालों से इस योजना को बंद क्यों नहीं किया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *