उत्तराखंड सरकार ने नियमित नियुक्तियों और शाही खर्च पर लगाई रोक
मित्वययता की इस योजना में सरकारी नियुक्तियों पर भी कैंची चली है। फोर्थ क्लास सहित तकनीकी रिक्त पदों पर नियमित नियुक्तियों पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है। वैसे फोर्थ क्लास पहले से ही डाइंग कैडर घोषित है और वेतन समिति ने भी अधिक से अधिक आउटसोर्स करने को कहा था। वहीं, सलाहकारों को भी स्टाफ देने से मना कर दिया गया है। कोविड के कारण रोजगार वर्ष के तुरंत बाद सरकार को यह कदम उठाना पड़ा है।
लॉकडाउन के कारण दबाव में आई सरकार ने अब खर्च कम करने के लिए प्रदेश में नियमित नियुक्तियों पर रोक लगा दी है। सरकार का नया मूल मंत्र आउटसोर्स है। इसके साथ ही फाइव स्टार कल्चर और शाही खर्च पर भी बंदिश लगा दी गई है। मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने खर्च कम से कम करने का यह आदेश सभी विभागों के लिए जारी कर दिया है।
दूसरी कैंची निर्माण योजनाओं पर चली है। नए सरकारी भवनों से लेकर नए गेस्ट हाउस तक बनाने पर बंदिश लगाई गई है। इसके साथ ही विभागों से यह भी कहा गया है कि वे अनुपयोगी योजनाओं को चिह्नित कर उन्हें खत्म करें। मितव्ययता का खास पक्ष शाही खर्च पर रोक भी है।
फाइव स्टार होटलों में राजभोज पर प्रतिबंध लगाने के साथ ही अफसरों से इकोनॉमी क्लास में ही सफर करने को कहा गया है। विभागों से यह भी कहा गया है कि वे सेमीनार आदि सरकारी भवनों में करें और होटलों से परहेज करें। कार्यालय व्यय को कम करने के लिए सरकारी कर्मियों को ई प्लेटफार्म का अधिक से अधिक उपयोग करने को कहा गया है।
मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह की ओर से जारी आदेश के मुताबिक कोविड-19 की रोकथाम के लिए सरकार को अधिक खर्च करना पड़ रहा है। इस पर लॉकडाउन की वजह से आय तेजी से कम हुई है। प्रदेश की जीडीपी प्रभावित हुई है और राजस्व कम हुआ है।
नई नियुक्तियों पर रोक, आउटसोर्स पर जोर
– अनुपयोगी पद होंगे समाप्त, अन्य विभागों में समायोजित किए जाएंगे कर्मचारी, वेतनमान का उच्चीकरण नहीं होगा
– चिकित्सा और पुलिस को छोड़कर अन्य विभागों में नए पद सृजित करने पर रोक
– सेवा नियमों के विपरीत विभागों में संविदा, नियत वेतन, दैनिक वेतन पर नियुक्ति पूरी तरह से बंद। आउटसोर्स से काम कराने का आग्रह।
– फोर्थ क्लास के साथ ही वाहन चालक, माली, वायरमैन, इलेक्ट्रीशियन, प्लंबर, लिफ्टमैन आदि पदों के रिक्त होने पर नियमित नियुक्तियां नहीं, आउटसोर्स से होगा काम।
– सलाहकार आदि को स्टाफ नहीं मिलेगा। विभाग सरप्लस स्टाफ दे सकता है या आउटसोर्सिंग होगी।
निर्माण कार्य
– सरकारी और निगमों आदि के स्तर से नए गेस्ट हाउस नहीं बनाए जाएंगे। मुख्यालयों में नए कार्यालय, भवन नहीं बनेंगे।
विकास योजनाएं
– विकास योजनाओं की नियमित समीक्षा। अनुपयोगी योजनाओं को समाप्त किया जाएगा। योजनाओं में काम करने वाले कर्मियों को अतिरिक्त लाभ देने पर भी रोक। पहले से जारी टीए, डीए आदि ही मिलेगा।
घूमने-फिरने पर भी बंदिश
– यात्रा व्यय, विज्ञापन, प्रिंटिंग आदि पर खर्च कम से कम। अफसर इकोनॉमी क्लास से ही यात्रा करेंगे। यात्रा भी कम से कम।
– विदेशों में ऐसे किसी सेमीनार, वर्कशॉप में जाने की अनुमति नहीं, जिससे राज्य सरकार को
खर्च उठाना पड़े। विभाग राजस्व घाटा खत्म करने के लिए काम करेंगे।
ये भी है योजना
प्राइमरी में सरप्लस शिक्षक भेजें जाएंगे दूसरी जगह
– प्राथमिक शिक्षा में छात्र-शिक्षक अनुपात का सख्ती से पालन, सरप्लस शिक्षकों का समायोजन रिक्त पदों पर होगा। हर तीन माह में समीक्षा होगी।
जीरो बेस्ड बजट
– नई योजनाओं के लिए जीरो बेस्ड बजट। मतलब यह कि योजना की लागत का आकलन नए सिरे से होगा और हर खर्च की परख होगी।
– सुरक्षा को छोड़कर नए वाहनों को खरीदने पर रोक।
– अनुबंध पर टैक्सी लेने के लिए वित्त की सहमति लेनी होगी। केवल पंजीकृत वाहनों का ही अनुबंध, निजी वाहनों के अनुबंध पर रोक।
फाइव स्टार कलचर से परहेज, ई प्लेटफार्म पर जोर
– राजकीय भोज फाइव स्टार होटलों में नहीं होंगे। सेमीनार, वर्कशॉप केवल सरकारी भवनों में होंगे।
– स्टेशनरी और यात्रा व्यय को कम करने के लिए ई प्लेटफार्म का अधिक से अधिक उपयोग होगा।
– नए साल पर या अन्य मौकों पर कलेंडर, डायरी, पर्सनल लेटर आदि पर रोक, प्राधिकरण और अन्य संस्थाओं पर भी यह नियम लागू।