सचिवालय में मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह की अध्यक्षता में राज्य कार्यकारी समिति (एसईसी) की बैठक हुई। बैठक में निर्णय लिया गया कि आपात स्थिति में जितने भी कार्मिकों की सेवाएं ली जाएंगे उन्हें इससे निपटने के लिए प्रशिक्षित और जागरूक किया जाएगा। इस दौरान आइसोलेशन और क्वारंटाइन के लिए प्रोटोकॉल निर्धारित करने, जिलों के साथ लगातार वीडियो कांफ्रेंसिंग करने, मास्क, सेनिटाइजर और अन्य जरूरी उपकरणों की निर्बाध सप्लाई की व्यवस्था सुनिश्चित करने का भी निर्णय लिया गया।
प्रदेश में कोरोना से निपटने के लिए सामाजिक, राजनीतिक और अन्य गतिविधियों में 50 और उससे अधिक लोगों के एकत्र होने पर रोक लगा दी गई है। शासन ने आपात स्थिति में सेवानिवृत्त स्वास्थ्य कर्मियों की भी सेवाएं लेने का निर्णय लिया है। इसके लिए सेवानिवृत्त चिकित्सकों व कर्मियों को चिह्नित करने के निर्देश भी जारी कर दिए हैं। इसके अलावा मेडिकल, नर्सिंग और पेरामेडिकल कॉलेज के विद्यार्थियों को भी आपात स्थिति से निपटने के लिए प्रशिक्षित करने का निर्णय लिया गया है।
बैठक में सचिव आपदा प्रबंधन अमित नेगी ने कोराना वायरस के मद्देनजर एसडीआरएफ द्वारा जारी फंड से की जाने वाली खरीद के संबंध में जानकारी दी। उन्होने बताया कि इससे थर्मल स्केनर, वेंटिलेटर और एयर प्यूरीफायर आदि की खरीद की जा सकेगी। सचिव स्वास्थ्य नितेश झा ने कोरोना संक्रमण के रोकथाम और इससे निपटने के लिए विभाग द्वारा उठाए जा रहे कदमों की जानकारी दी। सचिव आवास शैलेश बगोली ने सार्वजनिक स्थानों में साफ-सफाई की व्यवस्था के संबंध में उठाए जा रहे कदमों की जानकारी दी। बैठक में मुख्य सचिव ने सभी विभागों को तैयारियों को पुख्ता करने के साथ ही स्वच्छता पर विशेष फोकस रखने के निर्देश दिए।
कोरोना वायरस को महामारी घोषित करने के बाद अब प्रदेश सरकार इसकी रोकथाम को लेकर गंभीरता से कदम उठा रही है। इस कड़ी में शासन ने सभी राजकीय व निजी चिकित्सालयों में रोगियों से मिलने वाले लोगों के आने पर रोक लगाने का निर्णय लिया है। सरकार ने सभी जिलाधिकारियों और मुख्य चिकित्साधिकारियों को अस्पतालों में रोगियों से मिलने का समय समाप्त करने के आदेश दिए हैं।
इस समय कोरोना को लेकर वैश्विक स्तर पर चिंता जताई जा रही है। चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय निरंतर कोरोना वायरस के संक्रमण पर नजर रख रहा है। इसकी लगातार समीक्षा की जा रही है। प्रदेश सरकार ने भी इसे महामारी घोषित कर दिया है और इस पर प्रभावी नियंत्रण के लिए लगातार कदम उठाए जा रहे हैं। इसके लिए लगातार विभागों व आमजन के लिए एडवाइजरी भी जारी की जा रही है। सरकार ने संक्रमण अधिक न फैले, इसके लिए भीड़-भाड़ या फिर जमावड़े को टालने या फिर इसे स्थगित करने की सलाह दी है। इसके लिए कार्यक्रम भी रद्द किए जा रहे हैं। इस कड़ी में सरकार ने सरकारी व निजी अस्पतालों में भीड़-भाड़ रोकने के लिए इनमें भर्ती रोगियों से मिलने वालों पर भी रोक लगाने का निर्णय लिया है। इसके लिए मिलने के लिए तय समय समाप्त करने के निर्देश जारी किए गए हैं।
प्रभारी सचिव स्वास्थ्य डॉ. पंकज कुमार पांडेय द्वारा इस संबंध में सभी जिलाधिकारियों और मुख्य चिकित्साधिकारियों को आदेश जारी किए गए हैं। इनमें कहा गया है कि सभी अस्पताल रोगियों को मिलने वाले समय को तत्काल प्रभाव से निलंबित करते हुए आवश्यक कार्यवाही करें।
सचिवालय प्रशासन ने कोरोना वायरस के मद्देनजर 31 मार्च तक सचिवालय में आगंतुकों के प्रवेश पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही सचिवालय कर्मियों को एहतियातन, ग्लब्स और मास्क भी वितरित किए गए हैं। प्रदेश में कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए सरकार लगातार एहतियाती कदम उठा रही है। इसी कड़ी में सचिवालय में आगंतुकों के प्रवेश पर रोक लगा दी गई है। इसके साथ ही सचिवालय कर्मियों को चेकिंग करने के लिए ग्लब्स, मॉस्क और सेनिटाइजर भी वितरित किए गए हैं। विशेष परिस्थितियों में अनुमति के बाद ही सचिवालय कार्मिकों के अलावा अन्य को सचिवालय में प्रवेश करने दिया जाएगा।
कोरोना वायरस से संक्रमण बढ़ने के खतरे को देखते हुए परिवहन विभाग ने भी विभागीय अधिकारियों व परिवहन व्यवसायियों के लिए गाइडलाइन जारी की है। इसके अंतर्गत सभी कार्यालयों, चेकपोस्ट, ड्राइविंग टेस्ट सेंटर, प्रदूषण जांच केंद्र व विभाग द्वारा प्रयोग किए जाने वाले उपकरणों को संक्रमण मुक्त रखने को कहा गया है। इसके साथ ही व्यावसायिक व सरकारी वाहनों में यात्रियों के नाम अपील भी जारी की है।
परिवहन आयुक्त शैलेश बगोली द्वारा जारी गाइडलाइन में कहा गया है कि प्रदूषण जांच केंद्रों को संक्रमण रहित बनाने के लिए ब्लीचिंग पाउडर अथवा एल्कोहल आधारित संक्रमण रोधी का छिड़काव किया जा सकता है। संक्रमण को रोकने के लिए जनसामान्य को जागरूक बनाने को सरकारी व व्यावसायिक वाहनों में राज्य सरकार की अपील भी चस्पा करने को कहा गया है।