वाशिंगटन। फेसबुक डेटा लीक मामले में आलोचनाओं का सामना कर रही फेसबुक और उसके मुख्य कार्यकारी अधिकारी मार्क जुकरबर्ग ने आज चुप्पी तोड़ी। जुकरबर्ग ने दो अरब फेसबुक उपयोगकर्ताओं से उनका ”विश्वास तोड़ने के लिए’’ माफी मांगी और डेटा को सुरक्षित रखने के लिए कई कदम उठाने का वादा किया। ब्रिटिश फर्म द्वारा पांच करोड़ उपयोगकर्ताओं के डेटा हासिल करके उसका इस्तेमाल अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव अभियान में डोनाल्ड ट्रंप के पक्ष में करने के आरोप लगने के बाद जुकरबर्ग ने पहली बार सार्वजनिक रूप से टिप्पणी की है।
फेसबुक के सीईओ ने ”गलती” स्वीकार करते हुए कहा कि वह अमेरिकी कांग्रेस के सामने मामले से जुड़े सवालों का जवाब देने के लिए ‘‘तैयार’’ हैं। उन्होंने समाचार चैनल सीएनएन से कहा, ”यह विश्वास तोड़ने का बड़ा वाकया है और जो कुछ हुआ मैं उसके लिए माफी मांगता हूं। अब हमारी जिम्मेदारी यह सुनिश्चित करने की है कि दोबारा ऐसा ना हो।’’ मार्क ने कहा कि दोबारा इस तरह की गलती ना हो इसके लिए फेसबुक ने कई कदम उठाए हैं। उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया में सोशल साइट हजारों ऐप की ”गहन समीक्षा” करेगी।
यह मामला उस समय सामने आया जब ट्रंप के 2016 के चुनाव अभियान से जुड़ी डेटा फर्म कैंब्रिज एनालिटिका पर आरोप लगा कि उसने बिना अनुमति के पांच करोड़ फेसबुक उपयोगकर्ताओं का निजी डेटा एकत्र किया। कैंब्रिज एनालिटिका ने शायद फेसबुक के कहने के बावजूद वह डेटा मिटाया नहीं है और अपने पास सुरक्षित रखा है।
इससे पहले जुकरबर्ग ने फेसबुक पर इस संबंध में एक पोस्ट किया था। उन्होंने लिखा कि कंपनी ने ”गलतियां” की हैं और बताया कि उपयोगकर्ताओं का डेटा सुरक्षित रखने के लिए कैसे उसने नीतियों में बदलाव किया। उन्होंने कहा, ”मैंने फेसबुक शुरू किया था और अंतत: यहां जो कुछ भी हुआ मैं उसके लिए जिम्मेदार हूं।” जुकरबर्ग ने कहा कि उपयोगकर्ताओं का डेटा सुरक्षित रखने की ”जिम्मेदारी” फेसबुक की है और यदि इसमें वह नाकाम होता है जो इसका मतलब है कि ”हम आपकी सेवा के लायक नहीं हैं। उन्होंने स्वीकार किया कि कंपनी को अभी बहुत कुछ करने की जरूरत है।
जुकरबर्ग ने कहा कि जिन लोगों के आंकड़े एनालिटिका के पास थे, फेसबुक उन सभी को सूचित करने की योजना बना रही है। लेकिन उन्होंने कहा, काश जो हुआ उसके बारे में सभी को सूचित करने में कंपनी इतनी देर नहीं करती। पिछले कुछ दिनों से फेसबुक की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। उसे फेडरल ट्रेड कमीशन की जांच का सामना करना पड़ रहा है और इसके अलावा यूरोपीय संघ तथा ब्रिटिश सांसदों ने मांग की है कि फेसबुक को डेटा ब्रीच पर सफाई देनी चाहिए।
वहीं, भारत के सूचना प्रौद्योगिकी एवं कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने फेसबुक को चताया है। उन्होंने कहा कि फेसबुक जैसी सोशल मीडिया कंपनियां अगर अवांछित तरीके से देश की चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित करने की कोशिश करती है तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। दुनिया भर में फेसबुक के खिलाफ लोगों के गुस्से के कारण इस कंपनी को करीब 50 अरब डॉलर का नुकसान हो चुका है।