बेरोजगारों को अब आसानी से मिलेगी सरकारी नौकरी, आउटसोर्सिंग एजेंसी के तौर पर काम करेगा सेवायोजन विभाग
जल्द ही यह प्रस्ताव कैबिनेट में लाया जाएगा। इधर, सेवायोजन विभाग के अफसरों को आउटसोर्सिंग एजेंसी को लेकर प्रस्ताव बनाकर भेजने के निर्देश शासन स्तर से मिले थे। सेवायोजन निदेशालय की मानें तो आउटसोर्सिंग एजेंसी का प्रस्ताव बनाकर सोमवार को भेज दिया गया है। कैबिनेट बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी मिलते ही शासनादेश जारी होगा। अन्य आउटसोर्सिंग एजेंसी की तरह ही सेवायोजन विभाग भी कार्य करने लगेगा। इसके माध्यम से विभिन्न विभागों में रिक्त पदों को आउटसोर्स के तहत भरा जाएगा।
उत्तराखंड में यदि सबकुछ ठीक रहा तो इसी वित्तीय वर्ष में सेवायोजन विभाग एक आउटसोर्सिंग एजेंसी के रूप में कार्य करने लगेगा। सेवायोजन निदेशालय ने आउटसोर्सिंग एजेंसी का प्रस्ताव बनाकर शासन को भेज दिया है। दरअसल, बीते दिनों श्रम मंत्री डॉ.हरक सिंह रावत ने कहा था कि राज्य सरकार नियुक्तियों के लिए सेवायोजन विभाग के जरिए एक नई आउटसोर्सिंग एजेंसी बना रही है, जिससे राज्य के युवाओं को विभागों में नौकरी दी जा सके। हालांकि, उनके इस बयान का बेरोजगारों ने विरोध भी किया था। कहा था कि उपनल, नेहरू युवा केंद्र, पीआरडी जैसी एक और आउटसोर्सिंग एजेंसी बनाकर सरकार उनके स्थायी नौकरी के सपने को तोड़ने का काम कर रही है। बहरहाल, बीते दिनों हुई कैबिनेट की बैठक में भी इस बात पर चर्चा हुई थी।
आठ लाख से अधिक बेरोजगार पंजीकृत
राज्य के सेवायोजन कार्यालयों में वर्तमान में 8,07,722 बेरोजगार युवा पंजीकृत हैं। जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 7,78,077 था। ऐसे में इतनी बड़ी संख्या को आउटसोर्स के माध्यम से भी रोजगार दे पाना काफी अधिक मुश्किल भरा साबित होगा।
विभाग की बदल सकेगी तस्वीर
एक ओर जहां आउटसोर्सिंग एजेंसी बनने के बाद बेरोजगार युवाओं को अस्थायी तौर पर विभागों में नियुक्ति मिल सकेगी। वहीं, सेवायोजन विभाग में भी काफी बड़े पैमाने पर इसका असर पड़ेगा। विभागीय ढांचे का पुनर्गठन हो सकेगा प्रमोशन और पदों को भरने की कवायद शुरू होगी।
कमीशन का खेल भी खत्म होगा
अब तक सेवायोजन विभाग जितने भी रोजगार मेले लगाता है, उसमें प्रतिभाग करने वाली प्राइवेट एजेंसियों को 10% कमीशन देना पड़ता है। विभाग एक आउटसोर्स एजेंसी के तौर पर काम करने लगता है तो ये कमीशन का खेल खत्म हो जाएगा। जिससे रोजगार के अवसर बढेंगे।
अफसरों के मुताबिक, करीब 25 से 30 साल पहले भी सेवायोजन विभाग के पास विभिन्न सरकारी विभागों द्वारा रिक्त पदों को भरे जाने की डिमांड की जाती थी। इसके बाद संबंधित जिले का सेवायोजन विभाग अपने यहां से अर्हताधारी पंजीकृत बेरोजगारों की सूची उस विभाग को देता था। इसके बाद इंटरव्यू और अन्य औपचारिकताओं के बाद योग्य युवा को नौकरी मिल जाती थी। मगर, जिला स्तर पर पदों की भरने की प्रक्रिया को समाप्त करने के बाद राज्यस्तरीय कर दिया गया था। ऐसे में सेवायोजन विभाग केवल रोजगार मेले लगाने, बेरोजगारों युवाओं का पंजीकरण करने तक ही सीमित रह गया था। नए प्रस्ताव में भी पुराने ढर्रे का कुछ हिस्सा शामिल किया गया है।