नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने आज स्पष्ट किया कि वह पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) में 11,000 करोड़ रुपये से अधिक की धोखाधड़ी के मामले की मौजूदा जांच की निगरानी नहीं कर सकता। इसके साथ ही न्यायालय ने कहा है कि वह पहले तो इस घोटाले की जांच अदालत की निगरानी में विशेष जांच दल (एसआईटी) से कराने की मांग वाली जनहित याचिका की विचारणीयता पर फैसला करेगा।
केंद्र ने अपनी ओर से न्यायालय से इस जनहित याचिका को खारिज करने की अपील की। केंद्र ने कहा कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई ), प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), आयकर विभाग व गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (एसएफआईओ) जैसी जांच एजेंसियां स्वतंत्र रूप से पीएनबी घोटाला मामले की जांच कर रही हैं। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा , न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की खंडपीठ ने कहा कि, हम निगरानी नहीं कर सकते। उन्होंने (केंद्र) ने कहा है कि अनेक कदम उठाए गए हैं।
याचिकाकर्ता विनीत ढांडा की ओर से वकील जे एच ढांडा ने इस मामले में केंद्र तथा अन्य को नोटिस जारी करने की अपील की। इस पर न्यायालय ने कहा, ‘हम पहले याचिका की विचारणितया पर विचार करेंगे।’ ढांडा ने दावा किया कि अरबपति जौहरी नीरव मोदी व मेहुल चौकसी जैसे आरोपियों ने घपला किया और देश से भाग गए। जबकि पूरा देश देख रहा है कि सरकार ने पहले भी विजय माल्या से जुड़े ऐसे ही मामले में कुछ नहीं किया।
अटॉर्नी जनरल (एजी) के के वेणुगोपाल ने इस घोटाला मामले में अदालत की निगरानी में जांच की मांग वाली याचिका यह कहते हुये खारिज करने का अनुरोध किया कि कई जांच एजेंसियां पहले से ही मामले में ‘स्वतंत्र जांच’ कर रही हैं। न्यायालय याचिका की विचारणीयता पर 23 अप्रैल को फैसला करेगा। उल्लेखनीय है कि बैंक के इस 11,400 करोड़ रुपये की कथित धोखाधड़ी मामले में सीबीआई अरबपति नीरव मोदी, उसके रिश्तेदार गीतांजलि जेम्स के मेहुल चोकसी व अन्य के खिलाफ पहले ही दो प्राथमिकी दर्ज कर चुकी है।
जनहित याचिका में पीएनबी, भारतीय रिजर्व बैंक ( आरबीआई ), वित्त , कानून एवं न्याय मंत्रालयों को पक्षकार बनाया गया है। याचिका में बैंक धोखाधड़ी मामले में कथित रूप से संलिप्त नीरव मोदी एवं अन्य के खिलाफ देश वापस लाने की प्रक्रिया यथासंभव दो महीने के भीतर शुरू करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है। इसमें यह भी कहा गया है कि नीरव मोदी और चोकसी की कथित संलिप्तता वाले मामले की विशेष जांच दल (एसआईटी) जांच करायी जाए। साथ ही पीएनबी के शीर्ष प्रबंधन की भूमिका की भी एसआईटी से जांच का अनुरोध किया गया है।
याचिका में वित्त मंत्रालय को यह निर्देश देने का अनुरोध किया गया है कि मंत्रालय बड़ी राशि वाले कर्ज की मंजूरी देने एवं उनकी अदायगी पर दिशानिर्देश तय करे। इसके अलावा ऐसे कर्जों की सुरक्षा एवं कर्ज वसूली सुनिश्चित की जाये।