देहरादून। ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर एवं स्वावलंबी बनाने के उद्देशय से कार्य कर रही त्रिकोण सोसायटी जल्द ही हस्तनिर्मित वस्तुओं की ऐसी प्रदर्शनी लगाने जा रही है जिससे ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं को एक अलग पहचान मिलेगी। इस बारे में जानकारी देते हुए त्रिकोण सोसायटी की चेयरपर्सन नेहा शर्मा ने बताया कि स्किल डवलपमेंट ऑफ इंडिया के अंतर्गत चलाए जा रहे एक प्रोजेक्ट के तहत भीमल की छाल से उत्पाद बनाए जा रहे है। त्रिकोण संस्था द्वारा लगभग 2000 महिलाओं को विभिन्न क्षेत्रों जैसे टेलरिंग, फूड प्रोसेसिंग, अर्टिफिशियल ज्वैलरी, ब्यूटीशियन आदि की ट्रेनिंग स्किल डवलपमेंट के अंतर्गत दी गई और उसके बाद उन्हे रोजगार दिया गया।
वहीं उत्तराखण्ड में पहली बार हयूमन सेफटी एवं सिक्योरिटी की ट्रेेनिंग भी उत्तराखण्ड में त्रिकोण की ओर से दी गई। नेहा ने भीमल के बारे में बताया कि यह एक लोकप्रिय पेड़ है जो पहाड़ियों में कृषि क्षेत्रों के पास पाया जाता है। यह प्राकृतिक रूप से फील्ड बंड में होता है और ग्रामीणों द्वारा इसकी बहुउद्देशीय उपयोगिता के लिए संरक्षित किया जाता है। इसे निवासियों का पारिवारिक वृक्ष माना जाता है। हर परिवार को कम ऊंचाई पर 6-8 पेड़ और ऊंचाई पर 10-12 पेड़ मिले हैं।
आमतौर पर चारे के लिए सर्दियों के दौरान पेड़ को काट दिया जाता है। यह मध्यम आकार का वृक्ष है जो 45 फुट तक ऊँचा और 5 फुट गर्थ 10-12 फुट के स्पष्ट फोड़े के साथ होता है। लेकिन हाल ही में, सूखे और पीटा टहनियों से फाइबर भी व्यापक रूप से और सफलतापूर्वक चप्पल, बास्केट, मैट और बैग जैसे अति सुंदर हथकरघा उत्पादों को बनाने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। भीम उत्पाद उत्तराखंड की महिला लोगों के लिए कमाई का एक स्रोत बन गया है।
इसके साथ ही त्रिकोण सोसायटी ऑर्गेनिक फार्मिंग क्षेत्र में भी एक इंटरनेश्नल कंपनी के साथ एमओयू करने जा रही है जो उत्तराखण्ड के किसानों को एक नया मार्केट देगा। साथ ही पर्वतीय क्षेत्रों में महिलाओं को रोजगार के अवसर प्रदान करेगा। नेहा शर्मा ने बताया कि संस्था कई ऐेसे प्रेजेक्टस पर कार्य कर रही है जिससे पर्वतीय क्षेेत्रों में युवाओं को रोजगार प्रदान कर वहां पर पलायन की समस्या को रोका जा सकेगा।
उन्होंने बताया कि संस्था के उत्तराखण्ड में 25 से 30 प्रोजेक्ट चल रहे है जिनके माध्यम से न सिर्फ उत्तराखण्ड को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्याती प्राप्त होगी बल्कि पलायन की समस्या का भी समाधान होगा। इसके साथ ही चाइल्ड लबर एजुकेशन पर भी संस्था कार्य कर रही है जिसके तहत तीन सेंटरों में 100 बच्चों को मुफत शिक्षा प्रदान की जा रही है।