शिक्षकों के लिए अब आसान होगा तबादला ऐक्ट, कैसे होगा ट्रांसफर जानिए

सचिवालय में मुख्य सचिव के साथ बैठक में शिक्षा सचिव ने उन्हें हरियाणा की तबादला पॉलिसी की विस्तार से जानकारी दी। रविनाथ रमन ने बताया कि हरियाणा में राज्य को सुविधा-संसाधनों के अनुसार विभिन्न क्षेत्रों में बांटा गया है। साथ ही शिक्षकों के लिए विभिन्न श्रेणियों में अंक दिए जाते हैं।

शिक्षा विभाग में तबादलों को लेकर जारी विसंगतियों को दूर करने के लिए उत्तराखंड सरकार, हरियाणा की तबादला नीति के अनुसार नई व्यवस्था लागू करने की तैयारी कर रही है। सोमवार को मुख्य सचिव डॉ. एसएस संधु ने शिक्षा सचिव रविनाथ रमन को हरियाणा की पॉलिसी के अनुसार, राज्य के लिए उपयोगी नीति का ड्राफ्ट तैयार करने के निर्देश दिए।

इन अंकों के आधार पर ही तबादला तय किया जाता है। हर शिक्षक को विकल्प देने की भी रियायत है। राज्य में तबादला कानून लागू होने से पहले ठीक यही व्यवस्था लागू थी। सुगम और दुर्गम में ए से लेकर एफ श्रेणी तक स्कूलों को बांटा गया था। शिक्षकों को उनकी सेवा अवधि के अनुसार सुगम से दुर्गम और दुर्गम से सुगम क्षेत्र में तबादले का मौका दिया जाता था।

लेकिन वर्ष 2018 में तबादला कानून लागू होने पर नीति को समाप्त कर दिया गया।  हरियाणा की पॉलिसी से मुख्य सचिव भी सहमत नजर आए। संपर्क करने पर शिक्षा सचिव ने बताया कि हरियाणा और राज्य की पूर्व की नीति के अनुसार एक संशोधन ड्राफ्ट तैयार किया जा रहा है।

इसे अनुमोदन के लिए उच्च स्तर पर रखा जाएगा। कोशिश की जा रही है कि इस प्रकिया को जल्द से जल्द पूरा कर लिया जाए। मालूम हो कि कुछ समय पहले सरकार ने दो अधिकारियों की टीम को हरियाणा की पालिसी के अध्ययन के लिए हरियाणा भेजा था। उसके बाद शिक्षा मंत्री डा. धन सिंह रावत, शिक्षा सचिव रमन और महानिदेशक बंशीधर तिवारी भी हरियाणा जाकर इसकी समीक्षा कर चुके हैं।

कर्मकार बोर्ड की पूर्व सचिव दमंयती रावत के कार्यकाल की जांच को नए सिरे से कमेटी बनेगी। शिक्षा सचिव ने बताया कि कमेटी में शामिल उपनिदेशक-शिक्षा रिटायर हो गए हैं। उनकी जगह नया अधिकारी नियुक्त किया जा रहा है।

पर तबादला कानून रहते कैसे लागू होगी नीति

सरकार हरियाणा की पॉलिसी पर मंथन तो कर रही है, लेकिन एक बड़ा सवाल भी है। राज्य में इस वक्त तबादला कानून लागू है। या तो शिक्षा विभाग को इसके दायरे से बाहर करना होगा या फिर नीति को तबादला कानून के अधीन लाना होगा। शिक्षा विभाग को कानून के दायरे से बाहर करने पर दूसरे विभाग भी इसे नजीर बना सकते हैं। इससे कानून के औचित्य पर ही सवाल उठ जाएंगे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *