उत्तराखंड की हसीन वादियों में पर्यटक पहले से ज्यादा कर सकेंगे ट्रेकिंग, विकसीत होंगे नए रूट

एक टीम ने पिथौरागढ़ से धारचूला के क्षेत्र में ट्रेकर्स व पर्वतारोहियों के रहने, खाने-पीने की व्यवस्थाओं का जायजा लिया। इस पहल से अब उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। संस्कृति से रूबरू हो होंगे पर्वतारोही केएमवीएन देश-विदेश से आने वाले पर्वतारोहियों को राज्य की संस्कृति, धार्मिक स्थल, अध्यात्म व खाद्यों की जानकारी देगा। प्रदेश के आखिरी गांव जोकि सीमाओं से लगे हुए हैं, वहां के रहन-सहन व संस्कृति से रूबरू करवाया जाएगा।

कुमाऊं मंडल विकास निगम (केएमवीएन) की ओर से उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में पर्यटन विकसित किए जाने के उद्देश्य से नए ट्रेकिंग रूट तैयार किए गए हैं। इससे पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। धारचूला के दारमा, चौदास, व्यास वैली में नए ट्रेकिंग रूट विकसित करने को पहले चरण का सर्वे कर लिया है। एमडी विनीत तोमर ने बताया कि कई सालों से पिथौरागढ़, धारचूला क्षेत्रों में कई ट्रेकिंग रूट बंद हो गए हैं, जिन्हें खोलने व नए रूट विकसित करने के लिए योजना बनाई गई है।

कार्ययोजना के तहत धारचूला की दारमा वैली के दुग्तु गांव से ट्रेकिंग रूट शुरू किया जाएगा, जो भगवान शिव की तपोस्थली शिपु होते हुए पंचाचुली पर्वत तक जाएगा। इसके अलावा चौदास वैली में 5 हजार 400 मीटर की ऊंचाई वाले स्योला पास, नारायण आश्रम, नामां पास, आदि कैलास, गूंजी मार्ग में पड़ने वाले अन्य छोटे ट्रेक विकसित होंगे। व्यास वैली के लिपुलेख नाभिडांग, कालापानी, कूटी क्षेत्रों में नए और बंद हो चुके ट्रेक पर्यटकों के लिए विकसित किए जाएंगे।

 

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