आज घर-घर विराजेंगे गणपति, मंदिरों में सजे पांडल

आज घर-घर विराजेंगे गणपति, मंदिरों में सजे पांडल

भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापना के साथ गणेश चतुर्थी मनाई जाती है। स्थापना व विसर्जन के दौरान ढोल नगाड़ों के साथ गणेश की नगर परिक्रमा कराई जाती है, लेकिन कोरोना गाइडलाइन का पालन और भीड़ कम हो इसलिए आयोजक समितियों ने तीन से पांच दिनों में विसर्जन करने का निर्णय लिया है। आचार्य डा. सुशांत राज के मुताबिक गणेशपुराण में भाद्रपद मास के शुक्लपक्ष की चतुर्थी को मंगलमूर्ति गणेश की अवतरण तिथि बताई गई है। सनातन धर्म में किसी शुभ कार्य से पूर्व भगवान गणेश की पूजा की जाती है।

आज घर और मंदिरों में प्रथम पूजनीय गणेश जी की प्रतिमा स्थापित कर गणेश चतुर्थी मनाई जाएगी। कोरोना के कारण इस साल आयोजक समितियों की ओर से भव्य पांडाल नहीं सजाए गए। कोविड गाइडलाइन के तहत सूक्ष्म रूप से विभिन्न जगहों पर प्रतिमा स्थापित कर पूजा की जाएगी। गुरुवार रात 12:17 पर चतुर्थी तिथि शुरू होगी जो शुक्रवार रात 10 बजे तक रहेगी।

भाद्रपद में गणेश जी की पूजा-अर्चना करने से सुख-समृद्धि आती है। लोग घरों में भगवान की प्रतिमा स्थापित कर उसकी प्राण प्रतिष्ठा करते हैं। अनंत चतुर्दशी पर गणेश भगवान के अगले साल जल्दी आने की प्रार्थना कर उनको विदाई दी जाती है।

सुबह स्नान के बाद पूजा स्थल अथवा मंदिर को साफ करें। पूजा के लिए जल कलश, पंचामृत, रोली, अक्षत, कलवा, जनेऊ, नारियल, इलायची, सुपारी लौंग, पंचमेवा, घी, गंगाजल, चौकी एकत्र करें। गणेश की प्रतिमा स्थापित कर मोदक, लड्डू का भोग लगाएं। इसके बाद गणपति की आरती करें।

गणेश चतुर्थी की पूर्व संध्या पर बाजार में मूर्ति की खरीदारी, पूजा सामग्री की दुकानों में भीड़ रही। कुम्हार मंडी में मूर्ति बेचने वाले कृष्णा प्रजापति ने बताया कि बीते वर्ष कोरोनाकाल के चलते आयोजन न होने से काम ठप रहा, लेकिन इस बार अच्छी आमदनी की आस है।

गणेश उत्सव मंडल धामावाला सर्राफा बाजार की ओर से धामावाला, युवा गणेश उत्सव समिति की ओर से मन्नुगंज में मूर्ति स्थापित की जाएगी। इसके अलावा शहर के विभिन्न मंदिरों में मूर्ति की जाएगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *