हड़ताली मनरेगा कर्मियों पर तीरथ सरकार ने दिखाई सख्ती
शासन की डेडलाइन के बावजूद हड़ताल पर डटे मनरेगा कर्मियों की सेवाएं समाप्त कर दी गई है। ग्राम्य विकास विभाग ने सभी मुख्य विकास अधिकारियों से शनिवार तक काम पर न आने वाले कर्मियों की सेवाएं समाप्त करने के आदेश जारी किए हैं। ग्राम्य विकास विभाग के अधीन 12 सौ से अधिक मनरेगा कर्मी बीते 15 मार्च से हड़ताल पर चल रहे हैं।
20 मई को अपर मुख्य सचिव की ओर से जारी आदेश में हड़ताली कर्मियों को 29 मई तक काम पर आने की चेतावनी दी गई थी। इधर, शनिवार शाम तक कर्मचारी हड़ताल पर डटे रहे। इस बीच मनरेगा के राज्य समन्वयक मोहम्मद असलम ने सभी मुख्य विकास अधिकारियों को पत्र भेजकर, नया विकल्प चुनते हुए काम पर न आने वाले कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त करते हुए रिक्त पदों का विवरण देने को कहा है। इधर, मनरेगा कर्मचारी संगठन उत्तराखंड के प्रदेश महामंत्री सुबोध उनियाल ने कहा है कि संविदा पर नियुक्त कर्मचारियों को जबरन एनजीओ के अधीन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सभी कर्मचारी हड़ताल पर अडिग हैं। उनियाल के मुताबिक पड़ोसी राज्य हिमाच ने मनरेगा कर्मियों के लिए ग्रेड पे की व्यवस्था की है, उत्तराखंड में यही व्यवस्था लागू की जाए।
उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने मनरेगा कर्मियों की सेवा समाप्त करने की निंदा की है। प्रीतम सिंह ने कहा की मनरेगा कर्मचारी जायज मांगों को लेकर पिछले 76 दिन से आंदोलनरत हैं। इससे विकास कार्यों भी अवरुद्ध हो रहे हैं, इसलिए सरकार को बातचीत का रास्ता अपनाते हुए, मुद्दे का समाधान तलाशा होगा। प्रीतम सिंह ने इस बारे में एसीएस मनीषा पंवार से भी बात की है।