राज्य सरकार आदर्श किरायेदारी कानून पर काम कर रही, आदर्श किरायेदारी कानून का ड्राफ्ट हो रहा तैयार
शहरी विकास निदेशालय ने प्रस्तावित ऐक्ट वेबसाइट www.udd.uk.gov.in पर उपलब्ध कराया है। प्रस्तावित ऐक्ट में क्षेत्रवार और मकान में उपलब्ध किराये के अनुसार दरें तय करने का प्रावधान है। अभी देश में एक समान कानून नहीं है।
मकान मालिक और किरायेदारों के हित सुरक्षित रखने के लिए राज्य सरकार आदर्श किरायेदारी कानून पर काम कर रही है। शहरी विकास निदेशालय ने इस ऐक्ट का ड्राफ्ट सार्वजनिक करते हुए 31 अक्तूबर तक राय देने के लिए कहा है।
नया कानून शहरी क्षेत्रों में प्रवासियों और नौकरीपेशा लोगों की जरूरतों को ध्यान में रखकर तैयार किया जा रहा है। शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में प्रभावी: संयुक्त निदेशक कमलेश मेहता ने कहा कि अभी शहरी क्षेत्रों में दशकों पुराना रेंट कंट्रोल ऐक्ट है।
जबकि ग्रामीण क्षेत्र के लिए ऐसा कानून नहीं है। इस कारण केंद्र सरकार मॉडल ऐक्ट तैयार कर रही है। इस पर सभी राज्यों से सुझाव मांगे हैं। राज्य में नया ऐक्ट बनाने पर सैद्धांतिक सहमति बन चुकी है। प्रस्तावित ऐक्ट शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में समान रूप से लागू होगा।
शहरी विकास विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक, 2011 की जनगणना के अनुसार राज्य में खाली मकानों की संख्या 1.10 लाख है। जानकारों के मुताबिक, मौजूदा रेंट कंट्रोल ऐक्ट की खामियों के चलते कई लोग अपनी प्रॉपर्टी किराये पर देने से बचते हैं। इस ऐक्ट में किराये की अधिकतम सीमा तय होने से यह किरायेदारी बाजार के लिए कभी लुभावना नहीं रहा। राज्य में आवासहीन परिवारों की संख्या भी एक लाख से अधिक है। इसलिए, सरकार कानून को ज्यादा प्रासंगिक बनाकर, इस अंतर को पाटने का प्रयास कर रही है। सरकार ने योजनाओं के तहत बने सरकारी भवन किरायेदारी पर देने का निर्णय लिया है।