तीरथ सरकार के मंत्रियों पर दिल्ली में लगेगी मुहर, मंत्रिमंडल में नए चेहरों की उम्मीद

तीरथ सरकार के मंत्रियों पर दिल्ली में लगेगी मुहर, मंत्रिमंडल में नए चेहरों की उम्मीद

त्रिवेंद्र मंत्रिमडल में उन्हें जगह नहीं मिल पाई थी। जबकि कई जिलों को प्रतिनिधित्व नहीं मिल पाया था। त्रिवेंद्र सरकार के खिलाफ विधायकों की नाराजगी की एक बड़ी वजह कैबिनेट का विस्तार न हो पाना और तीन पद लम्बे समय तक खाली रखा जाना भी रहा है। ऐसे में इन सभी लोगों ने अब नए सीएम की कैबिनेट में जगह पाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रखा है। तीरथ सिंह रावत पर सरकार को नया रूप देने का भी दबाव है। ऐसे में चेहरों के चयन में खासी मुश्किल आ रही है।

मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत की कैबिनेट पर अंतिम निर्णय दिल्ली की मुहर के बाद ही होगा। गुटीय खींचतान और कुछ नए चेहरों को कैबिनेट में शामिल किए जाने की वजह से कैबिनेट फाइनल करने में मुश्किलें आ रही हैं। ऐसे में मंत्रियों के नामों पर अंतिम निर्णय दिल्ली पर ही छोड़ने का फैसला लिया गया है। सरकार के खिलाफ असंतोष थामने के लिए भाजपा ने एक दिन पहले ही राज्य में नेतृत्व परिवर्तन किया है। सूत्रों के अनुसार, पहले नए सीएम के साथ ही तीन से पांच मंत्रियों को भी शपथ दिलाने की योजना थी। लेकिन मंत्री पद के दावेदारों की लम्बी सूची और गुटीय खींचतान की वजह से ऐन वक्त पर यह निर्णय टाल दिया गया। भाजपा के कई विधायक लम्बे समय से मंत्री बनने की जुगत में हैं।

कुछ पुराने मंत्रियों की छुट्टी पर विचार

त्रिवेंद्र सरकार में मंत्री रहे कुछ कैबिनेट और राज्य मंत्री स्तर के मंत्रियों को हटाया जाना है। चार साल के परफामेंस को इसका आधार बनाया जा रहा है। लेकिन मंत्रियों को कैबिनेट से हटाने का फैसला इतना आसान भी नहीं है। तीरथ सिंह रावत मुख्यमंत्री बनते ही किसी को कैबिनेट से हटाकर शुरू में ही नाराजगी नहीं लेना चाहेंगे। ऐसे में मंत्रियों के चयन व हटाने को लेकर नई दिल्ली की मंजूरी के बाद ही निर्णय लिया जाएगा।

संगठन से भी फीडबैक

नई कैबिनेट के गठन के संदर्भ में मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत पार्टी संगठन से भी विचार विमर्श कर रहे हैं। राज्य में एक साल बाद विधानसभा के चुनाव होनें हैं ऐसे में आखिरी साल गठित होने वाली कैबिनेट में संगठन की राय को प्रमुखता दी जाएगी। पार्टी के पुराने नेताओं और कई बार के विधायकों को मंत्रिमंडल में प्राथमिकता मिल सकती है। इसके अलावा क्षेत्रीय और जातीय संतुलन का भी कैबिनेट गठन में ध्यान रखा जाना है।

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