काशीपुर में 13 अप्रैल से लगेगा ऐतिहासिक चैती मेला, शुरू हुईं तैयारियां

काशीपुर में 13 अप्रैल से लगेगा ऐतिहासिक चैती मेला, शुरू हुईं तैयारियां

गौरतलब है कि बीते वर्ष कोरोना संक्रमण के कारण चैती मेले का आयोजन नहीं हो पाया था। इससे व्यापारी मायूस होकर लौट गये थे। लेकिन इस बार प्रशासन ने 13 अप्रैल से चैती मेला लगाने की अनुमति दे दी है। हालांकि, कोरोना के मामलों को देखते हुए प्रशासन अलर्ट मोड पर आ गया है। जिस कारण मेले के आयोजन को लेकर संशय बना था।

कोरोना संक्रमण के बीच 13 अप्रैल से आयोजित ऐतिहासिक चैती मेले की तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। टेंडर प्रकिया पूरी होने के बाद मंदिर परिसर में रंगाई-पुताई का काम शुरू कर दिया गया है। मेला आयोजन के निर्णय से व्यापारियों में खुशी की लहर है।

बीती मंगलवार को संयुक्त मजिस्ट्रेट कार्यालय में मेले के लिये बिजली, साउंड, पार्किंग, दुकानों की स्थापना और तहबाजारी की निविदाएं खोली गईं। तहबाजारी का ठेका सर्वाधिक बोली लगाने पर पीकेवी के नाम 12.60 लाख रुपये में छूटा। दुकानों की स्थापना का ठेका सर्वाधिक बोली 73 लाख में यूपी के संजीव ट्रेडिंग के नाम छूटा। पार्किंग का ठेका 11.11 लाख में पीवीके के नाम छूटा। जबकि बिजली एवं साउंड के लिये आबिद इलेक्ट्रिकल ने 4.25 लाख की सर्वाधिक बोली लगाई। टेंडर प्रकिया पूरी होने के कारण मेला आयोजन को लेकर संशय भी दूर हो रहा है। इधर, मंदिर परिसर में भी रंगाई-पुताई का काम शुरू कर दिया गया है।

19 को चैती मंदिर पहुंचेगा मां बाल सुंदरी का डोला

13 अप्रैल से चैती मेला शुरू हो जाएगा। मुख्य पंडा विकास अग्निहोत्री ने कहा 19 अप्रैल की रात पंडा मनोज अग्निहोत्री मां का डोला लेकर मां बाल सुंदरी मंदिर पहुंचेंगे। 25 अप्रैल को डोला वापस शहर स्थित मंदिर में पहुंचेगा। उन्होंने कहा कि मां बाल सुंदरी मंदिर में कोविड-19 के नियमों का कड़ाई से पालन कराया जाएगा।

चैती मेले के आयोजन की अनुमति मिलने के बाद 162 साल पुराना नखाशा बाजार फिर गुलजार होगा। नखाशा बाजार में उत्तराखंड, यूपी समेत देश के कई हिस्सों से पंजाबी, राजस्थानी और कठियाबाड़ी, अवलक, पवकलिया, कुमैत, नीला सफजा, नीला मुश्की समेत अन्य नस्लों के कीमती घोड़े बिकने के लिये पहुंचते हैं। नखाशा बाजार में कभी सुल्ताना डाकू और फूलन देवी भी घोड़ा खरीदने पहुंचती थी। मुख्य पंडा विकास अग्निहोत्री ने कहा नखाशा बाजार 13 अप्रैल से शुरू होगा और देवी का डोला मंदिर में पहुंचने से पहले तक लगेगा।

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