नैनीताल। उत्तराखंड में पिछले चुनाव में हुए खर्च का ब्योरा न देने वालों को राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा छह साल तक चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य घोषित करने के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर हुई है।
हाईकोर्ट ने राज्य निर्वाचन आयोग को आदेश दिया है कि याचिकाकर्ता को अयोग्य घोषित करने से पहले कानूनी प्रक्रिया का पालन करने के साथ ही याची को सुनवाई का मौका दें। न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की एकलपीठ ने मामले की सुनवाई हुई।
आयोग ने पहली जनवरी 2003 के शासनादेश का हवाला देते हुए कई लोगों को चुनाव के लिए अयोग्य घोषित कर दिया था। इसमें साफ कहा गया था कि चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों को चुनाव संपन्न होने के 30 दिन के भीतर चुनावी खर्च का ब्योरा देना होगा।
खड़क माफी गांव डोईवाला की पूर्व प्रधान सुनीता रावत ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा था कि आयोग को ऐसी कोई पॉवर नहीं है कि वह किसी उमीदवार को अयोग्य घोषित करे। आयोग ने उनको न तो कोई नोटिस इस मामले में दिया और ना ही उनको सुनवाई का मौका दिया गया