विभिन्न प्राधिकरणों, निगमों व बोर्ड में दायित्व वितरण पर हफ्तेभर में फैसला लेगी सरकार
मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने सरकार की बागडोर संभालने के बाद पिछली त्रिवेंद्र सरकार के कार्यकाल में सौंपे गए दायित्व निरस्त कर दिए थे। अलबत्ता, आयोगों और किसी अधिनियम के तहत दिए गए दायित्व बरकरार रखे गए। पूर्व में जब दायित्वधारी हटाए गए थे, तो कहा गया था कि जल्द ही दायित्व वितरण किया जाएगा। तीरथ सरकार साढ़े तीन माह का कार्यकाल पूरा कर चुकी है, लेकिन अभी तक इस संबंध में फैसला नहीं हो पाया है।
प्रदेश सरकार में नेतृत्व परिवर्तन के बाद विभिन्न प्राधिकरणों, निगमों व बोर्ड में दायित्व वितरण का मसला हर किसी की जुबां पर है। मौजूदा परिस्थितियों में दायित्व बांटे जाएं अथवा नहीं, इसे लेकर सरकार मंथन में जुटी है। इस संबंध में सप्ताहभर के भीतर सरकार फैसला लेगी। मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने इसके संकेत दिए। उन्होंने कहा कि भाजपा नेतृत्व के साथ बैठक कर निर्णय लिया जाएगा। माना जा रहा कि विधानसभा चुनाव की तैयारियों के मद्देनजर 27 से 29 जून तक रामनगर में होने वाले भाजपा के चिंतन शिविर में भी इस बारे में बात हो सकती है। इसके बाद सरकार कोई निर्णय ले सकती है।
सरकार इस बात को लेकर भी पसोपेश में है कि करीब आठ माह बाद राज्य में विधानसभा चुनाव हैं। ऐेसे में दायित्व वितरण से कहीं नाराजगी के सुर न उभरें। साथ ही जिन पार्टी नेताओं से दायित्व हटाए गए, उन्हें साधना भी चुनौती है। जाहिर है कि यदि दायित्व बंटते हैं तो ऐसा फार्मूला निकालना होगा, जिससे कहीं भी असंतोष के सुर न फूटें। इसे लेकर मंथन चल भी रहा है। ऐसे में सभी की निगाहें सरकार के फैसले पर टिकी हैं।
तीरथ सिंह रावत (मुख्यमंत्री उत्तराखंड) ने कहा कि दायित्व वितरण को लेकर हम जल्द ही बैठक करेंगे। भाजपा के प्रदेश प्रभारी, प्रदेश अध्यक्ष समेत अन्य नेताओं से विचार-विमर्श किया जाएगा। दायित्व वितरण करें या नहीं, इसके दोनों ही पक्ष हैं। हफ्तेभर के भीतर इस बारे में कोई न कोई निर्णय ले लिया जाएगा।