देश का सबसे लंबा सस्पेंशन ब्रिज डोबरा-चांठी आज होगा जनता को समर्पित

देश का सबसे लंबा सस्पेंशन ब्रिज डोबरा-चांठी आज होगा जनता को समर्पित

डोबरा-चांठी पुल का निर्माण वर्ष 2006 में शुरू हुआ था। लेकिन, लापरवाही और तकनीकी कमी के चलते पुल का डिजाइन फेल हो गया था, जिस कारण वर्ष 2010 में पुल का काम बंद करना पड़ा। तब तक पुल निर्माण पर तकरीबन 1.35 अरब की रकम खर्च हो चुकी थी। इसके बाद वर्ष 2015 में उत्तराखंड सरकार ने पुल का नया डिजाइन बनाने के लिए अंतराष्ट्रीय टेंडर किए। इसके बाद दक्षिण कोरिया की कंपनी योसीन ने पुल का नया डिजाइन बनाया और लोनिवि निर्माण खंड ने 1.35 अरब की लागत से 2016 में दोबारा निर्माण कार्य शुरू किया।

प्रतापनगर की ढाई लाख से ज्यादा की आबादी का 14 साल से चल रहा वनवास अब खत्म हो गया है। रविवार दोपहर एक बजे मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत टिहरी झील पर बने देश के सबसे लंबे सस्पेंशन ब्रिज डोबरा-चांठी को जनता को समर्पित करेंगे। डोबरा-चांठी सस्पेंशन ब्रिज (झूला पुल) बनकर तैयार हो चुका है। पुल बनने से करीब ढाई लाख की आबादी की मुश्किलें कम हो जाएंगी। पहले जहां प्रतापनगर निवासियों को नई टिहरी बाजार पहुंचने में करीब चार से पांच घंटे लगते थे। अब पुल बनने के बाद यह दूरी घटकर सिर्फ डेढ़ से दो घंटे रह जाएगी। इसके साथ ही स्वास्थ्य सेवाओं और शिक्षा में भी सुधार होगा।

कोरियाई कंपनी के डिजाइन पर पुल का काम तेजी से चल रहा था, लेकिन वर्ष 2018 में पुल के तीन सस्पेंडर (पुल के बेस को लटकाने वाले लोहे के रस्से) अचानक टूट गए और फिर पुल का काम कई महीनों तक बंद रहा। इसके बाद लोनिवि ने पुल पर लगे सभी सस्पेंडर की शॉकेटिंग कराई, जिसके बाद वर्ष 2019 में पुल का काम फिर शुरू हुआ और अब आखिरकार पुल बनकर तैयार हो गया है। वहीं, प्रतापनगर के विधायक विजय सिंह पंवार का कहना है कि डोबरा-चांठी पुल बनने से प्रतापनगर और आसपास के क्षेत्र में विकास की एक नई गंगा बहेगी। डोबरा-चांठी पुल से प्रतापनगर दुनिया के शीर्ष पर्यटन स्थल में शामिल होगा।

विशेषता 

डोबरा-चांठी पुल की कुल लंबाई 725 मीटर है, जिसमें सस्पेंशन ब्रिज 440 मीटर लंबा है। पुल की 260 मीटर आरसीसी डोबरा साइड और 25 मीटर स्टील गार्डर चांठी साइड है। पुल की कुल चौड़ाई सात मीटर है, जिसमें मोटर मार्ग की चौड़ाई साढ़े पांच मीटर है, जबकि फुटपाथ की चौड़ाई 0.75 मीटर है। पुल पर साढ़े पांच करोड़ की लागत से फसाड लाइटिंग सिस्टम लगा है, जिसमें अलग-अलग थीम की लाइटें पुल को रात में और अधिक आकर्षक बना देती हैं। पुल पर बूम बैरियर लगाए गए हैं, जो वाहनों के वजन की माप करते हैं। पुल से 15 टन तक के वाहन गुजर सकते हैं।

खत्म हुआ इंतजार 

डोबरा-चांठी पुल बनने के बाद प्रतापनगर से जिला मुख्यालय की दूरी कम हो जाएगी। अभी तक नई टिहरी से पीपलडाली या भल्डियाणा होते हुए प्रतापनगर पहुंचा जाता था, लेकिन अब सीधा डोबरा पुल से प्रतापनगर पहुंचा जा सकेगा। वहीं डोबरा गांव में इन दिनों बाजार का निर्माण भी किया जा रहा है। वहां पुनर्वास निदेशालय ने बांध प्रभावितों के लिए एक छोटे बाजार का निर्माण किया था, जिसमें इन दिनों स्थानीय ग्रामीण दुकानें बना रहे हैं। डोबरा के पास बोटिंग प्वाइंट बनने और फ्लोटिंग हट्स प्वाइंट होने से यहां पर अब पर्यटकों की आवाजाही भी बढ़ेगी।

 

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