कोरोना के हर वैरिएंट की टेस्टिंग अब उत्तराखंड में होगी, दून में बनेगी लैब
डेल्टा और डेल्टा प्लस वैरिएंट की चिंताओं के बीच कोरोना वैरिएंट की पहचान दून मेडिकल कॉलेज की वॉयरोलॉजी लैब में ही हो जाएगी। इसके लिए तीन करोड की मशीन मंगा ली गई है। इसके इंस्टालेशन की प्रक्रिया चल रही है। मशीन के काम करते ही यहां जीनोम सिक्वेंसिंग शुरू हो जाएगी और वैरियंट की पहचान जल्द हो जाएगी।
कोरोना वैरियंट की पहचान के लिए हर महीने उत्तराखंड से कुल संक्रमित में से पांच फीसदी के सैंपल दिल्ली एनसीडी लैब भेजे जाते हैं। वहां काफी दबाव होने से जांच रिपोर्ट में देरी लग जाती है। पर अब उत्तराखंड को इस समस्या से नहीं जूझना पड़ेगा।
पांच सौ से ज्यादा सैंपल की रिपोर्ट नहीं आई
दून मेडिकल कॉलेज की लैब से अप्रैल और मई में पांच सौ से अधिक सैंपल एनसीडीसी लैब जांच को भेजे गये। दोनों माह के सैंपलों की रिपोर्ट अभी नहीं मिली है।
क्या है जीनोम सिक्वेंसिंग
वॉयरोलॉजी लैब के को-इन्वेस्टिगेटर डा. दीपक जुयाल के मुताबिक जीनोम सिक्वेंसिंग से कोरोना वायरस या किसी भी वायरस में कितने म्यूटेशन हो रहे हैं, यह पता लगाया जा सकता है। वेरिएंट की पहचान के लिए वायरस के आरएनए को बढ़ाया जाता है। इसे सिक्वेंसिंग मशीन पर डाला जाता है। आजकल एनएसजी प्लैटफॉर्म का इस्तेमाल किया जा रहा है। जीनोम सिक्वेंसिंग में आरएनए को बड़ा करके बेस पेयर के स्ट्रक्चर से मिलान किया जाता है। जो बेस पेयर है और वायरस का स्ट्रक्चर उससे मिल रहा है तो आसानी से पहचान सकते हैं कि सैंपल में कौन सा वायरस है।