आखिर क्या वजह है कि आतंकी हर बार सेना के कैम्पों पर ही हमला कर रहें हैं (terrorist attack army camps)। जबकि आतंकी अपना निशाना भारत की जनता को बनाते थे और अपना हमला किसी ऐसी जगह पर करते थे जहाँ लोग ज्यादा होते थे। लेकिन पिछले कुछ दिनों में आतंकियों ने अपना निशाना सेना को बनाना शुरू कर दिया है और चुन- चुन कर उसी जगह हमला कर रहे हैं जहाँ सेना रह रही होती है।
आतंकी लगातार वहीँ हमला कर रहे हैं (terrorist attack army camps)
पहले उरी, फिर बारामुला और अब हंदवाड़ा जबकि एक जगह हुए हमले के बाद से सेना की चौकसी बढ़ा दी गयी है। उसके बावजूद भी आतंकी लगातार वहीँ हमला कर रहे हैं। दरअसल इसके पीछे पाकिस्तान की सोची- समझी चाल है। पाकिस्तान की तरफ से कश्मीर में पहले बुरहान वानी कश्मीर विभाजन की बात को आगे बढ़ा रहा था। लेकिन उसके मरने के बाद अलगाववादियों की मुहीम ठंढी पड़ गयी थी। भारतीय सेना ने अपना पूरा जोर कश्मीर से आतंकवाद को मिटने पर लगा दिया। सेना ढूंढ कर आतंकियों को मरने लगी, इससे पाकिस्तान के मंसूबों पर पानी फिरने लगा।
पाकिस्तान ने सोचा अगर सेना ऐसे ही कश्मीर में जमी रही और एक एक करके आतंकियों को मारने लगी तो कश्मीर उसके हाथ से निकाल जायेगा। सेना का ध्यान कश्मीर से निकालना जरूरी हो गया है और पाकिस्तान ने अपनी चाल बदली। अब उसने अपने आतंकी से सेना के ठिकानो को बर्बाद करने के लिए भेजने शुरू कर दिए। इससे कश्मीर में छुपे हुए आतंकियों की तरफ सेना का ध्यान नहीं जा पाता है क्योंकि सेना का सारा ध्यान तो हमलों को रोकने में लगा रहता है। दूसरी तरफ आतंकी कश्मीर में अपना काम अंजाम देने के लिए आजाद होते हैं। वहाँ के अलगाववादी अपना काम बिना रोक टोक के कर सके इसके लिए आतंकी सेना पर हमला करते हैं, ताकि जो उनके साथी कश्मीर में हैं वह आसानी से निकल सकें।
कश्मीर तो पाकिस्तान के हाथ से निकल जायेगा
भारतीय सेना ने जिस तरह से कश्मीर से आतंकियों का सफाया कर रही है, पाकिस्तान इस बात से काफ़ी चिंतित है। अगर सेना ऐसे ही अपना काम करती रही तो कुछ ही दिनों में कश्मीर घाटी से आतंकियों का नामों- निशान मिट जायेगा। अगर ऐसा हुआ तो कश्मीर तो पाकिस्तान के हाथ से निकल जायेगा, इसलिए पाकिस्तान सर्दियों से पहले आतंकियों का एक दल कश्मीर में भेजने की तैयारी कर रहा है। क्योंकि सर्दियों में भारतीय सीमा में घुसपैठ करना मुश्किल हो जाता है। बर्फ पड़ने की वजह से दूर से आतंकी को सेना पहचान जाती है और मार गिराती है इसलिए पाकिस्तान अपने आतंकियों को सर्दियों से पहले ही भेजना चाहता है। ताकि कश्मीर में उसका काम बिना रोक टोक के चल सके।
सेना के कुछ दिनों के प्रयास से कश्मीर में आतंकियों की संख्या मुट्ठी भर ही बची हुई है, यही वजह है कि पाकिस्तानी आतंकी सेना का ध्यान कश्मीर से हटाने के लिए उसके ठिकानों पर हमला कर रहे हैं (Terrorist attack army camps)। आतंकी सेना से सामने से नहीं जीत सकते हैं इसलिए वह सेना के ठिकानों पर छुपकर हमला कर रहे हैं।
पत्थरबाज कहीं आतंकवादी तो नही थे?
पाकिस्तान भी अच्छी तरह जानता है कि अब भारत में केवल दुःख व्यक्त करने वाला प्रधानमन्त्री नहीं, ईंट का जवाब पत्थर से देने वाला प्रधानमन्त्री, रक्षा मंत्री एवं गृह मंत्री कुर्सी पर विराजमान हैं। घरों में या सरकारी कार्यलयों में छुप सेना को अपनी गोली का निशाना बनाकर ध्यान भटकाने का प्रयास है। उनका उद्देश्य केवल सेना ही को क्षति पहुँचाना नहीं बल्कि भारत को भी नुकसान पहुँचाने की मंशा है। अगर सेना किसी भवन से हमला होने पर भवन को बम से उड़ा देती है, उस स्थिति में भी नुकसान भारत सरकार को ही है। भेजे गए आतंकी ने तो मरना ही है, फिर क्यों न मरने से पहले दुश्मन को वित्तीय क्षति पहुंचाई जाए। इतनी सख्ती होने पर भी आतंकी हमला होने का अर्थ है, सीमा पर लापरवाही या फिर अलगाववादियों के संरक्षण में छुपे आतंकवादियों ने बिलों से निकल अपने काम को सरअंजाम देने बाहर आने शुरू हो रहे हैं। सीमाओं पर सख्ती होने के बावजूद सैनिक कैम्पों पर हमला इसी आशंका को व्यक्त करता है। यह भी आशंका है कि पत्थरबाज़ी में भी यही आतंकवादियों के सक्रिय हो सकते हैं। अब पत्थरबाज़ी बंद हुई तो सैनिक कैम्पों पर हमला। क्योंकि पेलेट गन से होने वाले ज़ख्म दुनिया में उनकी अलग ही पहचान बना रहे थे।
आर.बी.एल.निगम
वरिष्ठ पत्रकार