शिक्षकों और आंगनबाड़ी वर्करों को करने होंगे डिप्लोमा कोर्स
यह प्रावधान नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में किया गया है। सरकार का मानना है कि इससे प्री-प्राइमरी शिक्षकों को शुरुआत कैडर तैयार हो सकेगा। इसके दायरे में राज्य में कम से कम 10 हजार शिक्षक और 25 हजार से ज्यादा आंगनबाड़ी वर्कर आएंगे। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में प्री-प्राइमरी शिक्षा को खास तवज्जो दी गई है। पूर्व के 10+2 फार्मूले की जगह सरकार ने बेसिक से माध्यमिक स्तर तक की शिक्षा के लिए 5+3+3+4 का फार्मूला तैयार किया है। पहले पांच साल में तीन साल प्री-प्राइमरी के लिए और बाकी दो पहली और दूसरी कक्षा के लिए।
सरकारी स्कूलों में प्री-प्राइमरी कक्षाएं शुरू होने के साथ बेसिक स्तर के शिक्षक और आंगनबाड़ी वर्करों को भी छह माह व एक साल के विशेष प्रशिक्षण लेने होंगे। बारहवीं और इससे उच्च स्तर पर शिक्षितों को छह माह का सर्टिफिकेट कोर्स करना होगा जबकि इससे कम शिक्षा वाली आंगनबाड़ी वर्करों को एक साल डिप्लोमा कोर्स कराया जाएगा।
विशेषज्ञों के अनुसार, बच्चों के दिमाग का 85 प्रतिशत विकास छह वर्ष की उम्र से पहले ही हो जाता है। यही वो समय होता है जिसमें उनके भविष्य की बुनियाद रखी जा सकती है। लेकिन, प्री-प्राइमरी स्तर के छात्रों को शिक्षा से जोड़ना भी कम चुनौतीपूर्ण न होगा। आंगनबाड़ी स्तर पर बच्चों के पोषण व शारीरिक गतिविधियों की लिए अनुकूल माहौल जरूर मिल जाता है, लेकिन उनकी ऊर्जा को शिक्षा की ओर मोड़ने के लिए खास तकनीक की आवश्यकता होगी। इसके लिए प्री-प्राइमरी और पहली, दूसरी कक्षा स्तर के लिए शिक्षकों के लिए एक अलग कैडर की जरूरत है।
यह होगी प्रक्रिया
- एनसीईआरटी बनाएगा सर्टिफिकेट कोर्स और डिप्लोमा का पाठ्यक्रम
- सभी आंगनबाड़ी कर्मचारियों को कराया जाएगा यह विशेष प्रशिक्षण
- बेसिक कक्षाओं में पढा रहे शिक्षकों के लिए भी जरूरी होंगे दोनों कोर्स
- प्री प्राइमरी से कक्षा दो तक के लिए एक पृथक कैडर का ढांचा होगा तैयार
यूं होगी पढ़ाई
दोनो कोर्स ऑनलाइन-ऑफलाइन दोनों मोड में चलाए जाएंगे। डिजिटल, डिस्टेंस एजुकेशन, डीटीएच चैनल के साथ स्मार्ट फोन के माध्यम से भी शिक्षक व आंगनबाड़ी वर्करों को इससे जोड़ा जाएगा। इससे वे अपना वर्तमान काम करते हुए अपनी क्षमताएं भी विकसित कर सकेंगे।