वॉशिंगटन। इंडियन मुजाहिदीन (आईएम) ने भारत के खिलाफ आतंकी घटनाओं को अंजाम देने के लिए नेपाल को अपना सबसे बड़ा अड्डा बना लिया है। उसने लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और हरकत उल-जिहादी इस्लामी से भी हाथ मिला लिया है। अमेरिकी विदेश विभाग की 1 नवंबर को जारी रिपोर्ट ‘कंट्री रिपोर्ट ऑन टेररिज्म 2018’ में यह खुलासा किया गया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि आईएम का पहला मकसदभारत में आतंकी घटनाओं को अंजाम देना है। इसी के तहत उसने अपना दायरा बढ़ाते हुए भारत के पड़ोसी देश नेपाल को अपना सबसे बड़ा केंद्र बना लिया है। इसके लिए उसे पाकिस्तान समेत मिडिल ईस्ट (पश्चिम एशिया) देशों से फंड भी मिलता है।
आईएम को 2011 मेंअंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठन घोषित किया गया
भारत के साथ नेपाल की खुली सीमा और काठमांडू में देश के एकमात्र इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर अपर्याप्त सुरक्षा प्रोटोकॉल के कारण अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठन इसे अपनी पनाहगार बना रहे हैं। आईएम भारत में 2005 से बम ब्लास्ट की घटनाओं को अंजाम देता आ रहा है, जिसमें सैकड़ों लोगों की जान गई है। आईएम को 11 सितंबर 2011 में फॉरेन टेररिस्ट ऑर्गेनाइजेशन (एफटीओ) ने अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठन घोषित किया था।
नेपाल में कोई बड़ा आतंकी हमला नहीं हुआ
नेपाल में अब तक किसी बड़े अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठन ने कोई हमला नहीं किया है। यही कारण है कि उसे अभी तक आतंकी गतिविधियों को लेकर किसी प्रकार का कोई आभास भी नहीं है। नेपाल में माओवादी कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (सीपीएन) ही छुटपुट आतंकी घटनाओं को अंजाम देती आरहीहै। सीपीएन का नेता नेत्रा बिक्रम चंद है।
पाकिस्तान टेरर फंडिंग, भर्ती और उनकी ट्रेनिंग रोकने में नाकाम
रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान अपनी जमीन पर आतंकियों को फंडिंग, भर्ती और उनकी ट्रेनिंग रोकने में नाकाम रहा है। अफगान तालिबान और हक्कानी नेटवर्क के लिए पाकिस्तान सुरक्षित पनाहगार है। यहां के राजनेताओं ने तालिबान को खुलेआम समर्थन दिया है। आतंकी संगठनों ने बलूचिस्तान और सिंध प्रांत में सरकारी, गैर-सरकारी संगठनों और डिप्लोमैटिक मिशनों को लगातार निशाना बनाया।