देहरादून। आईजी की कार में सवार होकर प्रापर्टी डीलर से लूट के मामले में आरोपी पुलिसकर्मियों की हर करतूत सीसीटीवी कैमरों में कैद है। पुलिस ने इस मामले में अलग-अलग स्थानों से करीब 37 मिनट की सीसीटीवी फुटेज जुटाई है। इस फुटेज में कार को ओवरटेक कर रोकने, काला बैग उठाने और प्रापर्टी डीलर को कार में बैठाने-उतारने की हर तस्वीर मौजूद है। इस घटनाक्रम के बाद के दृश्यों में आईजी की सरकारी गाड़ी पुलिस लाइन में प्रवेश करती और करीब आधा घंटे के अंतराल के बाद वापस डब्लूआईसी क्लब जाते हुए नजर आ रही है।
इस फुटेज को देखने के बाद यह सच तो शीशे की तरह साफ-साफ सामने आ गया है कि वारदात तो हुई है। वारदात किसने की है, यह भी साफ हो गया है। पुलिस को अब पता करना है कि वारदात के पीछे कौन कौन हैं? नामजद आरोपी कांग्रेस नेता अनुपम शर्मा की वारदात के पीछे क्या भूमिका है? लूटी गई रकम कितनी और किसकी है? यह सच सामने आने के बाद कई सफेद चेहरों पर कालिख पुत जाए तो अचरज नहीं होगा।
फुटेज को देखने के बाद वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों का मानना है कि आईजी की सरकारी गाड़ी में सवार होकर लूट की इस घटना को अंजाम देते समय पुलिसकर्मियों को शायद यह पूरा भरोसा था कि यह मामला थाने तक नहीं पहुंचेगा। यही वजह थी कि चौराहों और सड़कों पर लगे सरकारी और प्राइवेट सीसीटीवी कैमरों को लेकर वे कहीं भी सतर्क नहीं दिखे।
सूत्रों के मुताबिक फुटेज में आईजी की सरकारी गाड़ी डब्लूआईसी के पास से ही प्रापर्टी डीलर के पीछे लगी। एसएसपी आवास से थोड़ा आगे ही प्रापर्टी डीलर की कार को रोका गया। आईजी की गाड़ी से दो वर्दीधारी उतरते दिख रहे हैं, जो डीलर अनुरोध पंवार की कार की तलाशी लेते नजर आ रहे हैं। इसके बाद कार से बैग उठाकर एक सिपाही आईजी की कार में रखते हुए दिख रहा है। इसके बाद प्रापर्टी डीलर को सरकारी गाड़ी में बैठाने और दूसरे सिपाही के पीछे से प्रापर्टी डीलर की कार लाने की तस्वीर साफ नजर आ रही है। बाद में प्रापर्टी डीलर को आईजी की गाड़ी से उतरने का भी दृश्य है।
सूत्रों के अनुसार फुटेज के दृश्य गवाह हैं कि राजपुर रोड पर इस घटना को अंजाम देने के बाद आईजी की गाड़ी सीधे पुलिस लाइन जाती है। पुलिस लाइन के कैमरे में गाड़ी अंदर जाती दिख रही है। करीब आधा घंटे बाद कार फिर पुलिस लाइन से निकलकर डब्लूआईसी क्लब पहुंचती है, जहां से खाने के पैकेट लेने के बाद कार वापस लाइन आ जाती है। मामले की जांच कर रहे और वरिष्ठ पुलिस अधिकारी भी एक-एक कर पूरे फुटेज का अवलोकन कर चुके हैं। यह बात अलग है कि इतने साक्ष्य होने के बावजूद चार दिन बाद भी आरोपी पुलिसकर्मियों के हलक से पूरा सच बाहर नहीं निकलवाया जा सका।