नहीं हुआ मंजूर आशुतोष का इस्तीफा

नयी दिल्ली। आम आदमी पार्टी (आप) ने अपने नेता आशुतोष का निजी कारणों से दिया गया इस्तीफा अभी मंजूर नहीं किया है।  आप के एक वरिष्ठ नेता ने पार्टी की राजनीतिक मामलों की समिति (पीएसी) को आशुतोष का इस्तीफा मिलने की पुष्टि करते हुये कहा कि अभी इसे मंजूरी नहीं मिली है। समझा जाता है कि आशुतोष ने कल ही पीएसी को अपना इस्तीफा भेजा था।

आशुतोष ने स्वयं आज ट्वीट कर पार्टी से नाता तोड़ने की जानकारी सार्वजनिक की। उन्होंने कहा ‘‘हर यात्रा का अंत अवश्यंभावी है। आप के साथ मेरे खूबसूरत और क्रांतिकारी जुड़ाव का भी अंत हो गया है। मैंने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है और पीएसी से इसे स्वीकार करने का अनुरोध किया है।’’ आशुतोष ने पार्टी से इस्तीफे की वजह बताते हुये कहा कि यह नितांत निजी कारणों से लिया गया फैसला है।

सूत्रों के अनुसार, आशुतोष के इस्तीफे पर विचार करने के लिये जल्द ही पीएसी की बैठक आहूत की जायेगी। पार्टी नेतृत्व से नाराज चल रहे कुमार विश्वास और आशुतोष भी पीएसी के सदस्य हैं। हालांकि इस बारे में आप की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की गयी है। पार्टी की दिल्ली इकाई के संयोजक गोपाल राय ने आशुतोष के इस्तीफे को दुखद बताते हुये कहा कि अभी इस बारे में पार्टी नेतृत्व उनसे बातचीत करेगा।

राय ने ट्वीट कर कहा, ‘आशुतोष का फैसला दुःखद । मिलकर करेंगे बात।‘ इस बीच आप के राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने आशुतोष के इस्तीफे को हृदयविदारक घटना करार दिया। उन्होंने कहा, ‘ज़िंदगी में एक अच्छे दोस्त, एक सच्चे इन्सान, एक भरोसेमन्द साथी के रूप में आशुतोष जी से मेरा रिश्ता जीवन पर्यन्त रहेगा। उनका पार्टी से अलग होना मेरे लिये एक हृदय विदारक घटना से कम नहीं है।

उन्होंने कहा  कि हम सब मिलकर आशुतोष जी से अनुरोध करेंगे कि वह अपना फैसला वापस लें। उल्लेखनीय है कि साल 2015 में दिल्ली में केजरीवाल सरकार के गठन के बाद आप से अलग हुये प्रमुख नेताओं की फेहरिस्त में आशुतोष, चौथा बड़ा नाम हैं। इससे पहले आप के संस्थापक सदस्य योगेन्द्र यादव, प्रशांत भूषण और शाजिया इल्मी पार्टी से नाता तोड़ चुके हैं। इसके अलावा प्रो. आनंद कुमार, पूर्व विधायक विनोद बिन्नी और पूर्व मंत्री कपिल मिश्रा भी पार्टी से दूरी बना चुके हैं।

पिछले कुछ समय से पार्टी की गतिविधियों से अलग चल रहे कुमार विश्वास भी आप नेतृत्व से नाराज बताए जाते हैं। वह आप संयोजक अरविंद केजरीवाल की कार्यशैली पर प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से समय समय पर सवाल उठाते रहे हैं।

पूर्व पत्रकार आशुतोष ने साल 2013 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में आप को मिली कामयाबी के फलस्वरूप केजरीवाल के नेतृत्व में सरकार बनने के बाद साल 2014 में पार्टी की सदस्यता ग्रहण की थी। इसके बाद हुये लोकसभा चुनाव में वह आप के टिकट पर दिल्ली की चांदनी चौक सीट से चुनाव लड़े थे। हालांकि इसमें उन्हें भाजपा के डा. हर्षवर्धन के सामने हार का सामना करना पड़ा था।

वह इस साल जनवरी में दिल्ली की राज्यसभा की तीन सीटों के लिये तय किये गये उम्मीदवारों की सूची में शामिल नहीं किये जाने के बाद से असंतुष्ट चल रहे थे। उन्होंने उम्मीदवारों के रूप में दो कारोबारियों को चुने जाने पर पीएसी की बैठक में भी असहमति व्यक्त की थी।

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