देहरादून। पर्वतीय क्षेत्रों के स्कूलों में दस या इससे कम और मैदानों में 15 या इससे कम छात्रसंख्या वाले स्कूलों में एक ही शिक्षक नियुक्ति किए जाने के फैसले पर शिक्षक संघों ने नाराजगी जताई है। उनका कहना है कि इस निर्णय का शिक्षा की गुणवत्ता पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। इससे भविष्य में हालात ये बनेंगे कि स्कूल ही बंद हो जाएंगे। उत्तराखंड राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ ने इस फैसले पर कड़ा रोष प्रकट किया है। संगठन की प्रांतीय अध्यक्ष निर्मला महर व प्रांतीय महामंत्री दिग्विजय चौहान ने इस मामले में निदेशक आरके कुंवर को ज्ञापन दिया है।
उनका कहना है कि प्राथमिक शिक्षा में लिए गए मनमाने फैसलों के कारण ही आज कई प्रकार की विसंगतियां उत्पन्न हो गई हैं। विद्यालयों को एक अध्यापक के भरोसे छोड़ना छात्रहित में नहीं है। पंद्रह से कम छात्रसंख्या वाले विद्यालयों में एक अध्यापक का पदस्थापन, शिक्षा का अधिकार अधिनियम का उल्लंघन है। क्योंकि शिक्षा का अधिकार अधिनियम में न्यूनतम दो अध्यापकों की नियुक्ति का प्रावधान है। ऐसे में शासनादेश में वर्णित एक अध्यापक की नियुक्ति/पदस्थापन को निरस्त किया जाए। अन्यथा संगठन को कोर्ट की शरण लेनी पड़ेगी।
उत्तराखंड राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ की जिला इकाई की इस विषय पर आपात बैठक हुई। संगठन पदाधिकारियों ने कहा कि एक शिक्षक के लिए गुणवत्तापरक शिक्षा देना संभव नहीं है। प्राथमिक स्तर पर छात्रों को बुनियादी रूप से एक शिक्षक के भरोसे मजबूत नहीं किया जा सकता। ऐसे में अभिभावक भी अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में नहीं दाखिला नहीं दिलाएंगे। विद्यालय में एक ही शिक्षक रखने से आगामी दो तीन सालों में स्कूल बंद हो जाएंगे। बैठक में जिलाध्यक्ष विरेंद्र कृषाली, जिला मंत्री प्रमोद सिंह रावत, विनोद लखेड़ा, सुभाष कुकरेती, राजेंद्र गुसाईं, मोहन, नीलिमा, राजेश थापा, प्रवीण वर्मा, रुपक पुरी, मृदुल आदि मौजूद रहे।
प्रदेशीय जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ ने उक्त शासनादेश का सख्त विरोध किया है। इसे विषम भौगोलिक परिस्थिति वाले राज्य में स्वीकृत पदों को सुनियोजित ढंग से समाप्त करने, गरीब छात्र-छात्राओं को गुणवत्तापरक शिक्षा से वंचित करने, प्रशिक्षित युवाओं के नियुक्ति के अवसर खत्म करने और कार्यरत शिक्षकों के पदोन्नति के द्वार बंद करने वाला बताया। संघ के प्रदेश अध्यक्ष विनोद थापा, महामंत्री राजेंद्र बहुगुणा व कोषाध्यक्ष सतीश घिल्डियाल ने कहा कि इससे बड़ी विडंबना क्या होगी कि प्रदेश में जहां एनसीईआरटी की किताबें शुरू कर दी गई हैं, कक्षा छह से विज्ञान आदि पुस्तकें अंग्रेजी माध्यम की लगाई गई हैं और अंग्रेजी विषय का पद ही समाप्त किया जा रहा है।
जबकि वर्ष 2008 में शासन द्वारा जूनियर विद्यालयों में चौथा पद अंग्रेजी का सृजित है। अंग्रेजी अध्ययन के मोह में छात्र प्राइवेट विद्यालयों की ओर जा रहे हैं और उस पर नीतिकार इस प्रकार की रणनीति से सरकारी विद्यालयों को हानि पहुंचा रहे हैं। उन्होंने कहा कि जूनियर विद्यालयों के प्रधानाध्यापक पदों को कहीं उच्चीकृत के नाम पर, कहीं न्यून छात्रसंख्या और कहीं एसएसए के नाम पर रोका जा रहा है। जीवनभर की सेवा के बाद भी शिक्षक पदोन्नति से वंचित हैं। सरकार व शासन के पास इसे लेकर स्पष्ट नीति नहीं है।
स्थायी नियुक्ति की मांग कर रहे शिक्षा मित्रों को बड़ा झटका लगा है। राज्य सरकार बिना टीईटी पास किसी भी शिक्षा मित्र को नियमित न करने का निर्णय कर चुकी है। ऐसे में विभाग ने इसे लेकर हाथ खड़े कर दिए हैं। विभाग का कहना है कि पूर्व में शिक्षा मित्र हाईकोर्ट के आदेश पर सशर्त नियमित किए गए थे।
इधर, स्थायी नियुक्ति की मांग को लेकर क्रांतिकारी शिक्षा मित्र संघ महासंघ ने गुरुवार को भी शिक्षा निदेशालय पर विरोध प्रदर्शन किया। पिछले चार दिन से भूख हड़ताल पर बैठे महासंघ के अध्यक्ष पूर्ण सिंह राणा के स्वास्थ्य में अब गिरावट आने लगी है। बता दें कि राज्य में 900 शिक्षा मित्र ऐसे हैं, जो 15 हजार रुपये मासिक मानदेय पर काम कर रहे हैं। इन्होंने इग्नू के जरिये डीएलएड कर लिया है, लेकिन टीईटी नहीं कर पाए हैं। संघ के अध्यक्ष का कहना है कि इग्नू से डीएलएड करने वाले पहले बैच के करीब 1500 शिक्षा मित्रों को विभाग ने स्थायी नियुक्ति दी थी। अब समान शैक्षिक योग्यता वाले 900 शिक्षा मित्रों के मामले में विभाग आनाकानी कर रहा है। जब तक सरकार उन्हें स्थायी नहीं करती आंदोलन जारी रहेगा।
शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर फिर सवाल उठने लगे हैं। हाल ही में राजकीय शिक्षक संघ के आंदोलन के दौरान प्रांतीय महामंत्री सोहन सिंह माजिला का स्थानांतरण किया गया था। लेकिन, जहां तबादला किया गया वहां माजिला के विषय का पद रिक्त ही नहीं है। उनका तबादला राज्य परियोजना कार्यालय देहरादून से नैनीताल जिले के राजकीय इंटर कॉलेज छोई किया गया है। उनके साथ ही अध्यक्ष और पूर्व अध्यक्ष का भी तबादला किया गया था।
शिक्षा विभाग ने ट्रांसफर आदेश जारी करने के पीछे की जो वजह बताई, उसमें स्पष्ट उल्लेख था कि शिक्षक की कमी को देखते हुए विभाग ने तीन ट्रांसफर किए हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार छोई इंटर कॉलेज में सामाजिक विज्ञान यानी जिस विषय के अध्यापक सोहन सिंह माजिला हैं, उस विषय के तीन शिक्षक पहले से ही तैनात हैं। छोई इंटर कॉलेज में छात्र संख्या को देखते हुए तीन पद स्वीकृत हैं। जबकि, चौथे शिक्षक के रूप में सोहन सिंह माजिला का तबादला भी इसी स्कूल में कर दिया गया है। इस प्रकरण पर जब माजिला से बात की गई तो उन्होंने कहा कि विभाग को उक्त स्कूल में शिक्षक की जरूरत होगी, इसी आधार पर ट्रांसफर किया गया होगा।