शहीद की पत्नी ने रो कर पूछा, आखिर कब तक देते रहेंगे कुर्बानियां

देहरादून। साहब! यह सब क्या हो रहा है, कुछ करते क्यों नहीं…आखिर कब तक हमारे सुहाग इस तरह शहादत देते रहेंगे…? बिलबिलाते होठों और कांपती आवाज से निकला यह सवाल किसी ओर का नहीं बल्कि शहीद हमीर सिंह पोखरियाल की पत्नी पूजा का था। उन्होंने घर पर सांत्वना देने पहुंचे विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल व भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट से जब यह सवाल किया तो यहां मौजूद सभी लोग निरुत्तर रह गए।

मंगलवार की दोपहर शहीद हमीर सिंह पोखरियाल के भट्टोंवाला मार्ग पर कुंजापुरी कॉलोनी गुमानीवाला स्थित घर में जैसे ही उनकी शहादत का समाचार पहुंचा। कोहराम मच गया। घर में शहीद की गर्भवती पत्नी पूजा, ढाई वर्ष की पुत्री अन्वी, मां राजकुमारी और भाई सुनील पोखरियाल ही मौजूद थे। सभी की स्थिति यह थी कि कोई एक-दूसरे के सामने अपने जज्बातों को जाहिर नहीं कर पा रहा था। कोई घर के कमरे में, कोई चौखट में तो कोई बरामदे में खामोश बैठकर अपने आंसुओं के समंदर को बांधे हुए था। मगर, जैसे ही आसपास के लोगों, परिचितों और रिश्तेदारों तक यह खबर पहुंची तो घर पर हजूम लग गया।

परिजनों व रिश्तेदारों के पहुंचते ही परिवार के सभी सदस्यों का सब्र का बांध टूट गया और फिर क्या था। कोई भी अपनी भावनाओं पर काबू नहीं रख पाया। इन सबके बीच ढाई साल की मासूम अन्वी को तो पता ही नहीं कि उसके सिर से उसके प्यारे पिता का साया हमेशा के लिए उठ गया है। वह डबडबाई आंखों और उदास चेहरों से घर में आ जा रहे लोगों को देख रही थी तो कभी अपनी मां व दादी की आंखों से बहते हुए आंसुओं को। पूर्व क्षेत्र पंचायत सदस्य विपिन पंत व राजेश व्यास ने बताया कि सेना के अधिकारियों के साथ हुई बातचीत के मुताबिक अभी शहीद का पार्थिव शरीर गुरुवार को ही ऋषिकेश पहुंच पाएगा।

शहीद हमीर पोखरियाल तीन माह पूर्व तीन मई को ही छुट्टी काटकर ड्यूटी पर गए थे। हमीर के भाई सुनील पोखरियाल ने बताया कि 27 अप्रैल को उनकी बुआ की शादी थी, जिसके लिए हमीर छुट्टी पर आए थे। हमीर ने अपनी पत्नी की डिलीवरी के समय पर छुट्टी आने की बात कही थी। मगर, भगवान को कुछ और ही मंजूर था। हमीर ने तीन दिन पहले ही घर पर फोन कर सभी सदस्यों से बात की थी। उन्होंने बताया कि वह अपनी यूनिट में दोस्तों के साथ खुस है। हमीर ने यह भी बताया कि सीमा पर अभी हालात सामान्य हैं।

 

अभी दो माह का समय भी नहीं गुजरा था कि तीर्थनगरी का एक और लाल देश की सीमा पर शहीद हो गया। ठीक 52 दिन पहले 16 जून 2018 को भी जम्मू-कश्मीर के नौशेरा सेक्टर में तीर्थनगरी का लाल विकास गुरुंग शहीद हो गए थे। गोरखा राइफल में राइफलमैन के पद पर तैनात विकास गुरुंग भी गुमानीवाला के ही गुलरानी फार्म का रहने वाले थे। 18 जून को शहीद विकास गुरुंग को अंतिम विदाई दी गई थी। विकास गुरुंग की यह सहादत अभी तीर्थनगरी वासियों के जहन में ताजी ही थी कि एक ओर सपूत के देश की सीमा पर वीरगति को प्राप्त होने की सूचना से तीर्थनगरी स्तब्ध हो गई है।

शहीद हमीर पोखरियाल के पिता जयेंद्र सिंह पोखरियाल सशस्त्र सेना बल (एसएसबी) में उप निरीक्षण हैं। वह वर्तमान में जम्मू-कश्मीर में अमरनाथ यात्रा में तैनात हैं। जयेंद्र सिंहपोखरियाल को उनके परिजनों ने फोन पर जब बेटे हमीर की शहादत की सूचना दी तो वह फफक-फफक कर रो पड़े। संभव है कि जयेंद्र सिंह भी बुधवार को घर पहुंच जाएंगे। विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने कहा कि उत्तराखंड के वीर शहीद हमीर पोखरियाल ने देश की अखंडता व सुरक्षा के लिए अपने प्राण न्यौछावर किए हैं। इसके लिए समूचा राष्ट्र उनके प्रति कृतज्ञ रहेगा। उत्तराखंड वीर जवानों की भूमि है, शहीदों के बलिदान को प्रदेश व देश के लोग हमेशा याद रखेंगे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *