देहरादून। सौतेले बाप पर उसकी दो बेटियों ने दुष्कर्म किये जाने का आरोप लगाया था। जिसके बाद पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। बीते एक वर्ष से जेल में सजा काट रहे रेप के आरोपी सौतेले पिता को साक्ष्यों के अभाव में कोर्ट ने दोषमुक्त किये जाने का आदेश सुनाया।
प्राप्त जानकारी के अनुसार देहरादून निवासी विजय शर्मा पर उसकी दो सौतेली बेटियों ने अप्रैल 2017 से जबरन छेड़छाड़ करने व अलग-अलग समय में तीन बार दुष्कर्म करने का आरोप लगाकर पुलिस थाने में मुकदमा दर्ज करवाया था। जिसके बाद पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। बीते लगभग एक वर्ष से विजय शर्मा जेल में बंद था।
विजय शर्मा का विवाह लगभग 5 वर्ष पूर्व देहरादून निवासी एक तलाकशुदा महिला से हुआ था। पहले पति से महिला के चार बच्चे हैं। जबकि महिला भी उम्र में विजय शर्मा से बड़ी है। इन बच्चों में से दो लड़कियों ने अपने सौतेले पिता विजय शर्मा पर बल प्रयोगकर जबरन छेड़छाड़ करने व बलात्कार करने का गंभीर आरोप लगाकर उसे जेल की सलाखों के पीछे भिजवाया।
इस मामले में फास्ट ट्रैक कोर्ट में पौक्सो अधिनियम के तहत कार्रवाई शुरू हुई। आरोपी विजय शर्मा की ओर से पैरवी कर रहे वकील अमित त्यागी ने बताया कि बीते लगभग एक वर्ष से फास्ट ट्रैक कोर्ट में पौक्सो अधिनियम के तहत मुकदमा चल रहा था। जबकि मामले की सुनवाई अपर जिला जज श्रीमती रमा पाण्डेय की अदालत में की जा रही थी।
अमित त्यागी ने बताया कि इस दौरान वादी पक्ष की ओर से कोर्ट में पेश किये गये दस्तावेज एवं पीड़िताओं व उनकी माता के बयानों में विरोधाभास पाया गया। कोर्ट में दिये गये बयान के अनुसार से साबित नहीं हो सका कि आरोपी द्वारा घटना को कितनी बार अंजाम दिया गया। साथ ही पीड़िताओं की उम्र में भी दिये गये दस्तावेज के अनुसार कोर्ट ने फर्क पाया।
वादी पक्ष की ओर से आरोप लगाया गया था कि अभियुक्त विजय शर्मा उनकी पुत्रियों पर बल प्रयोगकर जबरन गलत कार्य करने को विवश करता था। जबकि कोर्ट ने सबूतों के आधार पर पाया कि अभियुक्त विजय शर्मा टीबी की बीमारी से ग्रस्त है और वह सहारा लेकर चलता है। साथ ही वह भगदौड़ करने में भी असमर्थ है। ऐसे में वह किसी पर बल प्रयोग कैसे कर सकता है।
सभी तथ्यों और सबूतों पर गहनता से अध्ययन कर कोर्ट ने अपना निर्णय सुनाया। न्यायालय के फैसले के अनुसार ‘‘अभियुक्त विजय शर्मा को उनके विरूद्ध लगाये गये आरोप अन्तर्गत धारा-376, 354 भारतीय दण्ड संहिता व धारा-5/6 लैंगिक अपराध से बालकों को संरक्षण अधिनियम 2012 से दोषमुक्त किया जाता है।’’