नयी दिल्ली। कांग्रेस ने हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के पूर्व प्रमुख टी एस राजू के राफेल विमान सौदे से जुड़े एक बयान को लेकर आज नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधा और कहा कि देश के लोगों को ‘गुमराह करने’ के लिए रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण को तत्काल इस्तीफा देना चाहिए। पार्टी प्रवक्ता मनीष तिवारी ने यह भी कहा कि राजू के बयान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री की तमाम दलीलों को ध्वस्त कर दिया है और ऐसे में सरकार को ‘राफेल घोटाले’ की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) का गठन करना चाहिए।
तिवारी ने एक अंग्रेजी अखबार में छपे राजू के साक्षात्कार का हवाला दिया और कहा, ‘‘भाजपा सरकार राफेल विमान सौदे को लेकर लगातार झूठ बोलती आ रही है और वह अपने ही झूठ के मायाजाल में फंसती जा रही है। एचएएल के पूर्व प्रमुख टी एस राजू ने जो बातें कही हैं उनसे इस सरकार की सभी दलीलें ध्वस्त हो गई हैं। अब सरकार और रक्षा मंत्री का झूठ बेनकाब हो चुका है।’’।
उन्होंने कहा, ‘‘राजू ने दो बातें कही हैं। पहली बात यह है कि एचएएल और दसाल्ट के बीच कार्यविभाजन (वर्कशेयर) समझौता पूरा हो गया था और इसकी फाइलें सरकार को सौंप दी गईं थी। दूसरी बात उन्होंने यह कही है कि अगर एचएएल को कांट्रैक्ट मिलता तो राफेल विमानों का निर्माण यह कंपनी करती क्योंकि उसके पास सुखोई 30 के विनिर्माण और मिराज विमान के रखरखाव का लंबा अनुभव है।’’ कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा, ‘‘श्रीमान 56 में अगर हिम्मत है तो वह कार्यविभाजन समझौते से जुड़ी सारी फाइलें सार्वजनिक करें।’’
तिवारी ने कहा, ‘‘रक्षा मंत्री ने अपने मंत्रालय के तहत आने वाले सार्वजनिक उपक्रम की क्षमता पर सवाल खड़ा किया और देश को गुमराह किया। अब उन्हें अपने पद पर बने रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है। उन्हें तत्काल इस्तीफा देना चाहिए।’’ इससे पहले कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी राजू के बयान का हवाला देते हुए सीतारमण के इस्तीफे की मांग की। गांधी ने ट्वीट कर कहा, ‘भ्रष्टाचार बचाव करने का काम संभाल रही आरएम (राफेल मिनिस्टर) का झूठ एक बार फिर पकड़ा गया है। एचएएल के पूर्व प्रमुख टीएस राजू ने उनके इस झूठ की कलई खोल दी है कि एचएएल के पास राफेल के विनिर्माण की क्षमता नहीं है।’ उन्होंने कहा, ‘उनका (सीतारमण) रुख अस्थिर है। उन्हें इस्तीफा देना चाहिए।’
दरअसल, गांधी ने जो खबर शेयर की है उसके मुताबिक, राजू ने कहा है कि एचएलएल भारत में राफेल विमानों का विनिर्माण कर सकती थी। कांग्रेस का आरोप है कि मोदी सरकार ने फ्रांस की कंपनी दसॉल्ट से 36 राफेल लड़ाकू विमान की खरीद का जो सौदा किया है, उसका मूल्य पूर्ववर्ती में संप्रग सरकार में किए गए समझौते की तुलना में बहुत अधिक है जिससे सरकारी खजाने को हजारों करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। पार्टी ने यह भी दावा किया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सौदे को बदलवाया जिसके चलते एचएएल से कॉन्ट्रैक्ट लेकर एक निजी समूह की कंपनी को दिया गया।