एक दिन के लिए खोले गए मंदिर के कपाट

देहरादून। चमोली जिले के उर्गम घाटी के बंशीनारायण मंदिर के कपाट एक दिन के लिए खोल कर मक्खन सहित स्थानीय पकवानों का भोग लगाया गया। भगवान नारायण पर रक्षा सूत्र बांधकर भंडारे का भी आयोजन किया गया। मान्यता है कि सिर्फ रक्षाबंधन के दिन ही इस मंदिर में मानव पूजा के अधिकारी हैं, बाकी दिनों नारद जी देव पूजा करते हैं।

समुद्रतल से 13 हजार फिट की ऊंचाई पर स्थित भगवान वंशीनारायण कपाट सुबह नौ बजे कपाट खोलकर शाम चार बजे कपाट बंद कर दिए गए। इस मंदिर की खास बात यह है कि इसके कपाट वर्ष में सिर्फ एक दिन रक्षाबंधन को खुलते हैं। खराब मौसम के बाद भी सैकड़ों श्रदालुओं ने बंशीनारायण के मंदिर में पहुंचकर पूजा-अर्चना की तथा भगवान को रक्षा सूत्र बांधे।

मंदिर के पुजारी दरबान सिंह बताते हैं कि सुबह नौ बजे भगवान वंशीनारायण मंदिर के कपाट खोल दिए गए। इस अवसर पर कलकोठ गांव के प्रत्येक परिवार से भगवान नारायण के भोग के लिए आए मक्खन का भोग बनाया गया। भगवान को सत्तू बाड़ी का भोग सहित विशेष प्रकार के फूलों से श्रृंगार किया गया।

भगवान बंशीनारायण की फुलवारी में कई दुर्लभ प्रजाति के फूल खिलते हैं, जिन्हें सिर्फ श्रावण पूर्णिमा यानी रक्षाबंधन पर्व पर तोड़ा जाता है। परंपरानुसार इन फूलों से भगवान नारायण का विशेष श्रृंगार किया गया। इसके बाद स्थानीय लोगों ने भगवान बंशीनारायण को रक्षासूत्र बांधकर सुरक्षा की कामना की।

वंशीनारायण मंदिर दुर्गम होने के चलते इसकी यात्रा भी कठिन है। बदरीनाथ हाईवे पर हेलंग से उर्गम घाटी तक आठ किमी की दूरी वाहन से तय करने के बाद आगे 12 किमी का रास्ता पैदल नापना पड़ता है। दूर-दूर तक फैले मखमली घास के मैदानों को पार कर सामने नजर आता है प्रसिद्ध पहाड़ी शैली कत्यूरी में बना वंशीनारायण मंदिर। दस फीट ऊंचे इस मंदिर में भगवान विष्णु की चतुर्भुज पाषाण मूर्ति विराजमान है।

खास बात यह कि इस मूर्ति में भगवान नारायण व भगवान शिव के ही दर्शन होते हैं। कलगोठ निवासी लक्ष्मण सिंह नेगी बताते हैं कि परंपरा के अनुसार वंशीनारायण मंदिर के पुजारी ठाकुर जाति के होते हैं। वर्तमान में कलगोठ गांव में जाख के पुजारी हैं। वंशीनारायण मंदिर में किमाणा के ग्रामीणों ने श्रद्धालुओं के लिए भंडारे का आयोजन किया। इस अवसर पर लक्ष्मण सिंह नेगी, बालम सिंह भंडारी, दिनेश रावत, राजदीप सनवाल, मनोज राणा, अनुज चौहान, संदीप सिंह आदि मौजूद थे।

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