महिलाओं के खिलाफ बढ़ रहे अपराध के खिलाफ दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल जंतर मंतर पर आमरण अनशन पर बैठ गई हैं। उनके साथ महिला आयोग से जुड़ी महिलाएं भी धरना दे रही हैं।
स्वाति मालीवाल ने ट्वीट कर बताया कि पुलिस उन्हें जंतरमंतर पर बैठने नही दे रही। रातभर पुलिस ने पूरा जंतर मंतर बैरिकेडिंग करके टेंट और माइक नही लगने दिया। साफ बोल रहे हैं अनशन नही करने देंगे। उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि दिल्ली पुलिस सहयोग नहीं कर रही है
अनशन पर बैठने से पहले स्वाति मालीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा। प्रधानमंत्री से उन्होंने महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराध को रोकने के लिए उचित कदम उठाने की मांग की है।
स्वाति ने पीएम मोदी को लिखे पत्र में मांग की है कि दुष्कर्म के मामले में दोषियों को छह महीने में फांसी दिया जाए। इसके लिए कानूनों में जरुरी संसोधन किया जाए। दुष्कर्म के मामले में छह महीने के भीतर अपील और सुनवाई पूरी हो। जब तक कानून में समय सीमा का उल्लेख नहीं होगा तब तक महिलाओं के खिलाफ अपराध ऐसे ही होते रहेंगे।
स्वाति मालीवाल की मांगें
1. निर्भया के दोषियों को तुरंत फाँसी की सजा दी जाय।
2. बलात्कारियों को 6 महीने में फाँसी हो इसके लिए सभी कानूनों में संशोधन कर, केस के निर्वाहन व सभी अपील, मर्सी पेटिशन की समय सीमा कानून में 6 महीने की निर्धारित हो। जब तक कानून में समय सीमा का उल्लेख नहीं होता तब तक कुछ नही बदलेगा।
3. देश की सभी राज्य पुलिस को पर्याप्त पुलिसकर्मी दिए जाएं। दिल्ली में आज भी पिछले 13 साल से 66,000 पुलिसकर्मियों की कमी है। गृह मंत्रालय तुरंत 66,000 कर्मी दिल्ली पुलिस को दिल्ली पुलिस को प्रदान करें।
4. देश में फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट की बहुत बड़ी कमी है। कई जिलों में या तो फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट हैं ही नहीं या अगर हैं भी तो सामान्य कोर्ट से भी लचर हाल में है। इसलिये सभी जिलों में पर्याप्त कोर्ट बनें। दिल्ली में कम से कम 45 अन्य कोर्ट की ज़रूरत है, जो कि तुरंत बनाये जाएं।
5. सालों पहले बना निर्भया फण्ड का आज तक कोई ठोस इस्तेमाल नहीं हुआ। हज़ारों करोड़ रुपये जो देश की बच्चियों की जान बचाने में काम आ सकते थे वो सालों से सरकारी ख़ज़ानों में बंद है। इसिलए तत्काल यह फण्ड राज्यों में बांटा जाए और महिला सुरक्षा के लिए जरूरी तंत्रों को मजबूत करने में इस्तेमाल किया जाय।
6. पुलिस की जबाबदेही तय की जाय। भारत तकनीकी क्षेत्र में विश्व गुरु माना जाता है लेकिन कितनी शर्म की बात है कि केंद्र पिछले 13 सालों से एक सॉफ्टवेयर नही बना पाई जो पुलिस का डिजीटलीकरण कर सकें। जरूरी है कि तुरंत सॉफ्टवेयर बनाया जाए एवं और भी अन्य तरीकों से पुलिस की जबाबदेही तय की जाय।