उत्तराखंड का सैटेलाइट मैप बनाएगा सर्वे ऑफ इंडिया

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान जागरण से बातचीत में सर्वे ऑफ इंडिया की ज्योडीय और अनुसंधान शाखा के निदेशक आरके मीणा ने बताया कि उत्तराखंड का सामान्य नक्शा करीब 50 साल पहले तैयार किया गया था। यह नक्शा 1:50000 (वन इज-टु फिफ्टी थाउजेंड) के स्केल पर बना है। वहीं, डिजिटल मैप 1:5000 के स्केल पर तैयार किया जाएगा। जो कि पुराने नक्शे से 10 गुना बेहतर होगा। इससे धरातल पर बेहद छोटी वस्तुओं को भी देखा जा सकेगा। साथ ही इसमें राजस्व विभाग समेत विभिन्न अन्य विभागों की संपत्तियों और संसाधनों को भी दर्ज किया जाएगा।

करीब 50 साल बाद उत्तराखंड को सर्वे ऑफ इंडिया के सामान्य नक्शे की जगह सैटेलाइट मैप मिल पाएगा। सामान्य नक्शा शीट के रूप में है, जबकि सैटेलाइट मैप डिजिटल होगा। इससे एक क्लिक पर उत्तराखंड के किसी भी हिस्से की जानकारी प्राप्त की जा सकेगी। सैटेलाइट मैप तैयार करने के लिए सर्वे ऑफ इंडिया की वार्ता राजस्व विभाग के साथ अंतिम दौर में पहुंच गई है। जल्द ही दोनों विभाग के बीच एमओयू हस्ताक्षरित किया जाएगा। सैटेलाइट मैप तैयार करने के लिए तीन साल की अवधि तय की जाएगी।

धरातल का 50 मीटर नक्शे में एक सेंटीमीटर में होगा दर्ज 

अब तक उत्तराखंड का जो नक्शा है, उसके एक सेंटीमीटर का मतलब है कि उसमें धरातल के 500 मीटर (आधा किलोमीटर) की जानकारी दर्ज है। डिजिटल मैप में धरातल का 50 मीटर का भाग नक्शे के एक सेंटीमीटर में मापा जाएगा। समझा जा सकता है कि नए नक्शे में धरातल की अधिकतर वस्तुओं को साफ देखा जा सकेगा।

पहले चरण में लिए जाएंगे सेटेलाइट और एरियल चित्र 

निदेशक आरके मीणा के अनुसार पहले चरण में सैटेलाइट चित्र लेने के साथ ही एरियल (एयरबोर्न) चित्र लिए जाएंगे। फिर इसके साथ-साथ धरातल पर भी डाटा एकत्रित किए जाएंगे।

विभागों में समन्वय न होने से विलंब 

पहले इस तरह की तैयारी थी कि सर्वे ऑफ इंडिया राजस्व विभाग से संबंधित नक्शे ही तैयार करेगा, जिसमें खसरा नबंर की जानकारी भी दर्ज की जाएगी। फिर यह भी तय किया गया कि विभिन्न विभागों की जानकारी भी सैटेलाइट नक्शे में दर्ज की जाएगी। हालांकि, इसके लिए यह जरूरी है कि इच्छुक विभाग अपने संसाधनों, संपत्तियों की जानकारी साझा करें। आपसी समन्वय न होने के कारण ही एक साल से सिर्फ बैठकों का दौर चलता रहा। अब जरूर यह तय हो गया है कि राजस्व विभाग के साथ अन्य विभागों की जानकारी को भी सेटेलाइट मैप में दर्ज किया जाएगा।

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