नयी दिल्ली। खेल मंत्रालय ने केंद्र सरकार से प्रमुख स्टेडियमों के निजीकरण की उसकी योजना के संबंध में विस्तृत प्रस्ताव मांगा है। मंत्रालय फिलहाल ना तो इस प्रस्ताव के खिलाफ है और ना ही पक्ष में यानी इंतजार की नीति अपना रहा है। अपने 1050 अरब के विनिवेश के लक्ष्य के लिये भूमि और संपत्ति के मुद्रीकरण की योजना के तहत सरकार रेलवे के हेरिटेज रूट और जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम समेत प्रमुख स्टेडियमों के लिये निजी क्षेत्रों को निवेश का न्यौता देने की सोच रही है।
खेल मंत्रालय के एक आला अधिकारी ने कहा,‘‘ नीति आयोग के एक सदस्य ने हाल ही में बैठक के दौरान प्रस्ताव रखा लेकिन हम चाहते हैं कि स्टेडियमों का इस्तेमाल देश के एलीट खिलाड़ियों के लिये ही हो।’’ जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम के अलावा इंदिरा गांधी खेल परिसर और करनैल सिंह स्टेडियम को भी सार्वजनिक निजी साझेदारी (पीपीपी) माडल में रखा जा सकता है। जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में 2010 राष्ट्रमंडल खेलों की एथलेटिक्स स्पर्धायें और 2017 अंडर 17 फुटबाल विश्व कप के मैच खेले गए थे।
आईजीआई इंडोर स्टेडियम में कुश्ती और मुक्केबाजी के राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट होते हैं । करनैल सिंह स्टेडियम में रणजी ट्राफी मैच होते हैं और यह रेलवे का घरेलू मैदान है।अधिकारी ने कहा कि खेल मंत्रालय यह जानना चाहता है कि निजी क्षेत्र के हाथों में जाने के बाद स्टेडियमों का कैसे इस्तेमाल किया जायेगा। उन्होंने कहा कि खिलाड़ियों के हितों के साथ कोई समझौता नहीं होगा और इस पर अंतिम फैसला प्रस्ताव की समीक्षा के बाद ही किया जायेगा।