उत्तराखंड में 08 फरवरी से स्कूल खोलने को लेकर एसओपी जारी
जिन छात्रों के पास ऑनलाइन पढ़ाई करने की सुविधा नहीं है, उन्हें प्राथमिकता के आधार पर स्कूल बुलाया जाएगा। मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने शिक्षा महानिदेशक, सभी डीएम, सीईओ को एसओपी के अनुसार स्कूल संचालन के आदेश दिए हैं।
उत्तराखंड में 10 और 12 वीं कक्षाओं की तरह ही बाकी कक्षाओं में भी छात्रों के स्कूल आने के लिए अभिभावकों की लिखित अनुमति अनिवार्य होगी। आठ फरवरी से खुलने जा रहे सभी जूनियर और माध्यमिक कक्षाओं के लिए मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने गुरूवार शाम एसओपी जारी कर दी है। एसओपी के मुताबिक स्कूल में छात्रों और स्टॉफ को बिना मास्क के एंट्री नहीं मिलेगी। साथ ही स्कूल के गेट पर हैंड वॉश, सेनेटाइजशन और थर्मल स्कैनिंग से गुजरना अनिवार्य होगा।
बोर्डिग स्कूल के लिए भी मानक तय किए गए हैं। मालूम हो कि सरकार ने छठी से ग्यारहवीं तक की कक्षाओं को आठ फरवरी से खोलने का निर्णय किया है। 10 और 12 वीं कक्षाएं पिछले साल दो नवंबर को खोल दी गई थीं। मुख्य सचिव ने कहा कि पूर्व में कक्षा 10 और 12 वीं को खोलने के लिए बनाई गई एसओपी के मानक भी लागू रहेंगे। मुख्य सचिव के अनुसार बोर्डिंग स्कूलों के लिए सख्त मानक जारी रहेंगे। पूर्व में 24 अक्टूबर को जारी नियम लागू रहेंगे। सरकारी बोर्डिंग स्कूलों के लिए शिक्षा विभाग और समाज कल्याण विभाग अलग अलग एसओपी तैयार करेंगे।
हर स्कूल सेनेटाईज होगा, हर पाली में सेनेटाइजेशन
सात फरवरी तक छठी से 12 वीं स्तर के सभी स्कूलों को शत प्रतिशत सेनेटाइज करना होगा। यह प्रक्रिया हर पाली के बाद नियमित रूप से की जाएगी। यदि किसी छात्र-स्टॉफ को खांसी, जुकाम, बुखार के लक्षण दिखाई देंगे तो उन्हे प्राथमिक उपचार के बाद घर भेज दिया जाएगा। हर स्कूल में एक नेाडल अधिकारी भी नियुक्त किया जाएगा। उसकी जिम्मेदारी सोशल डिस्टेंसिंग प्रोटोकाल का पालन कराना और संक्रमण की स्थिति में तत्काल प्रशासन को सूचना देना होगी। सीईओ प्रतिदिन हर स्कूल की रिपोर्ट लेंगे।
हर क्लास की अलग अलग समय पर छुट्टी
स्कूल में प्रवेश और छुट्टी के वक्त विशेष ऐहतियात बरता जाएगा। पूरे स्कूल की एक साथ छुट्टी नहीं होगी। कक्षाओं के लिए छुट्टी का अलग अलग समय तय किया जाएगा। जिससे कम संख्या में छात्र-छात्राएं आ-जा सके। यदि स्कूल में एक से ज्यादा गेट हैं उनका इस्तेमाल प्रवेश और छुट्टी के वक्त किया जा सकता है। अधिक छात्र संख्या वाले स्कूल दो पालियों में कक्षा चला सकेंगे। कक्षा के भीतर बैठने में भी सोशल डिस्टेंसिंग के मानक का पालन करना होगा।
छात्रों को जबरन नहीं बुलाया जाएगा
स्कूल प्रबंधन छात्रों पर स्कूल आने के लिए दबाव नहीं बनाएंगे। जिन छात्रों को उनके अभिभावक लिखित सहमति के साथ भेजेंगे, केवल उन्हें ही स्कूल आने दिया जाएगा। जो छात्र स्कूल आने के बजाए ऑनलाइन ही पढ़ाई करना चाहते हैं, उनके लिए स्कूल ऑनलाइन पढ़ाई का विकल्प जारी रखेंगे।
डीएम को स्कूल बंद करने का अधिकार
सरकार ने स्कूलों के संचालन के लिए डीएम को विशेषाधिकार भी दिया है। मुख्य सचिव ने कहा कि कोराना संक्रमण रेाकने में डीएम की भूमिका प्रभावी रही है। डीएम जिलों में परिस्थिति के अनुसार निर्णय ले सकेंगे। यदि किसी स्कूल में संक्रमण की स्थिति पैदा होती है तो डीएम उस स्कूल को आंशिक या पूर्ण रूप से बंद करने का निर्णय ले सकते हैं।