मुजफ्फरपुर। बिहार शेल्टर होम मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी गई है। बिहार सरकार ने ही सीबीआई जांच की मांग की थी, जिसके बाद सीबीआई ने मुजफ्फरपुर के साहू रोड स्थित शेल्टर होम में रहने वाली बच्चियों के शारीरिक, मानसिक और यौन शोषण के मामले की जांच शुरु कर दी है। सीबीआई ने इस मामले में बालिका गृह के अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। यह बालिका गृह ‘सेवा संकल्प एवं विकास समिति’ द्वारा संचालित किया जा रहा था। यह समिति ब्रजेश ठाकुर के नाम से रजिस्टर्ड है। फिलहाल ब्रजेश ठाकुर को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है।
जांच में पता चला है कि बिहार सरकार हर साल ब्रजेश ठाकुर के एनजीओ को सरकारी मदद के तौर पर 1 करोड़ रुपए की मदद देती थी। बीबीसी की एक खबर के अनुसार, ब्रजेश ठाकुर को बालिका गृह के अलावा वृद्धाश्रम, अल्पावास, खुला आश्रय और स्वाधार गृह के भी टेंडर मिला हुआ है। ब्रजेश ठाकुर को बालिका गृह के लिए ही हर साल 40 लाख रुपए मिलते थे। इसके अलावा खुला आश्रय के लिए सरकार ब्रजेश ठाकुर को 16 लाख, वृद्धाश्रम के लिए 15 लाख रुपए और अल्पावास के लिए 19 लाख रुपए सालाना मिलते थे। हैरानी की बात है कि सरकार की नाक के नीचें बालिका गृह में 29 बच्चियों के साथ बलात्कार जैसा जघन्य अपराध कर दिया गया और सरकार को इसकी भनक तक नहीं लगी?
बालिका गृह में सरकार के विभिन्न अधिकारी जांच के लिए भी पहुंचते थे, लेकिन सभी ने बालिका गृह के बारे में सही रिपोर्ट ही दी थी। लेकिन अब बच्चियों के साथ बलात्कार के खुलासे के बाद हंगामा हो गया है। विपक्षी पार्टियों ने जहां इस मुद्दे पर सरकार के घेरना शुरु कर दिया है। पुलिस अधिकारियों का भी कहना है कि आरोपी ब्रजेश ठाकुर को टेंडर देते हुए नियमों की गंभीर रुप से अनदेखी की गई है। इसके अलावा इस बात पर भी सवाल उठ रहे हैं कि एक ही व्यक्ति को सरकार इतने सरकारी टेंडर कैसे दे सकती है? पुलिस जांच में यह भी बात सामने आयी है कि बालिका गृह में नियमों के मुताबिक सीसीटीवी कैमरे होने चाहिए, लेकिन ब्रजेश ठाकुर के बालिका गृह में कोई सीसीटीवी कैमरा नहीं मिला है। ब्रजेश ठाकुर काफी राजनैतिक रसूख वाला व्यक्ति है और जिस दिन बच्चियों से बलात्कार के मामले में उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी, उसी दिन समाज कल्याण विभाग ने उसे पटना में मुख्यमंत्री भिक्षावृत्ति निवारण योजना के तहत एक और अल्पावास का टेंडर भी दे दिया गया!