महाशिवरात्रि पर होगा शाही स्नान, अखाड़े परंपरागत रूप से लगाएंगे गंगा में डुबकी
12, 14 और 27 अप्रैल को होने वाले अन्य शाही स्नानों में श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी सबसे पहले स्नान करेगा। उन्होंने कहा कि महाशिवरात्रि का स्नान वैभवपूर्ण होगा। हालांकि शिवरात्रि पर्व पर अधिकांश संत अपने मठ-मंदिरों में मौजूद रहते हैं। इसलिए स्नान में संतों की संख्या कम रहेगी। अखाड़ा परिषद अध्यक्ष ने एसओपी सरल किए जाने की महामण्डलेश्वरों की मांग का समर्थन करते हुए कहा कि अखाड़ा परिषद पहले ही सरकार के समक्ष एसओपी के सरलीकरण की मांग कर चुका है। प्रत्येक संत अथवा व्यक्ति को अपनी बात रखने का पूर्ण अधिकार है। सरकार को संतों की मांग को गंभीरता से लेते हुए एसओपी में संशोधन कर सरल बनाना चाहिए, जिससे अधिक संख्या में श्रद्धालुजन कुंभ स्नान का लाभ उठा सके।
अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरी ने कहा कि 11 मार्च को महाशिवरात्रि का शाही स्नान सातों संन्यासी अखाड़े परंपरागत रूप से करेंगे। अखाड़ों की बैठक में स्नान की रूपरेखा तैयार कर ली गई है। शिवरात्रि स्नान के दौरान अखाड़ों के नागा संन्यासी आकर्षण का मुख्य केंद्र होंगे। मीडिया को जारी बयान में उन्होंने कहा कि स्नान के दौरान अखाड़ों में आपसी सामंजस्य बना रहे, इसके लिए एक निर्णायक अंतिम बैठक की जाएगी। श्रीमहंत ने बताया कि अखाड़े अपर रोड होते हरकी पैड़ी पर स्नान के लिए पहुंचेंगे। स्नान के पश्चात इसी रूट से वापस अखाड़ों में प्रवेश करेंगे। उन्होंने बताया शिवरात्रि पर प्रथम अखाड़े के रूप में श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा स्नान करेगा। इसके बाद श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी एवं अन्य अखाड़े स्नान करेंगे।
श्री बद्रीनाथ की धर्म ध्वजा स्थापना पर चर्चा
श्री देवभूमि लोक संस्कृति विरासतीय शोभायात्रा समिति की बैठक में श्री बद्रीनाथ एवं श्री हनुमान की धर्म ध्वजा की स्थापना समारोह को लेकर चर्चा की गई। शनिवार को प्रेमनगर आश्रम परिसर में आयोजित बैठक में संयोजक महंत अनिल गिरी और सहसंयोजक मुकेश जोशी ने सभी संयोजक मंडली के पदाधिकारियों के साथ आगामी कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए सुझाव लिए। सभी संयोजक मंडल के पदाधिकारियों को कार्यक्रम की रूपरेखा समझाई गई और सभी से इस कार्य को सफल बनाने का आह्वान किया गया। बैठक में जेपी बडोनी, आशीष गिरी, अनुज कोटियाल, मुकेश कोटियाल, बीडी मंडोलिया, पंकज बहुखंडी, सुंदर लाल, आदेश गिरी, आशुतोष गिरी, जसराम आदि शामिल रहे।
शंकराचार्यों के आगमन का इंतजार
कोरोनाकाल में हो रहे कुंभ मेले में नई परंपराएं जन्म लेती दिख रही हैं। पेशवाई में किन्नर अखाड़े का रुतबा और शाही स्नान में भागीदारी के बाद अभी तक किसी भी शंकराचार्य का कुंभनगरी में प्रवेश नहीं हो पाया है। दो पीठों के शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती के अप्रैल के पहले सप्ताह में हरिद्वार आने की संभावना है। गोवर्धनपीठ के शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती के कार्यक्रम की किसी को भी स्पष्ट जानकारी नहीं है। हालांकि दोनों पीठों की ओर से मेला प्रशासन को भूमि आवंटन को लेकर आवेदन मिले हुए हैं। 11 मार्च महाशिवरात्रि को शाही स्नान है जिस दिन जूना अखाड़े के साथ किन्नर अखाड़ा और अन्य संत भी गंगा स्नान करेंगे। शंकराचार्यों से दीक्षा लेने के लिए लाखों श्रद्धालु भी कुंभनगरी में जुटते हैं।