देहरादून और हल्द्वानी में बनेंगे सीनियर सिटीजन हेल्प सेंटर
कॉलसेंटर की तरह काम करने वाले उपनल के इन खास दफ्तरों में स्थानीय स्तर पर डॉक्टर, नर्स, मेडिकल स्टोर, होटल, मैकेनिक, इलेक्ट्रिशियन, सुपर स्टोर, किराना स्टोरों का डाटा होगा।
उम्रदराज और चलने फिरने से लाचार लोगों को छोटी-छोटी जरूरतों और सुविधाओं के लिए परेशान नहीं होना पड़ेगा। बुजुर्गों की सहायता के लिए उत्तराखंड पूर्व सैनिक कल्याण निगम (उपनल) प्रमुख शहरों में मल्टी सर्विस सेंटर बनाने जा रहा है। प्रथम चरण में ये सेंटर देहरादून और हल्द्वानी में बनाए जाएंगे।
बुजुर्गों की मांग के आधार पर उन तक ये सेवाएं पहुंचाई जाएंगी। इस सेवा को लेने के लिए फीस-वस्तु की कीमत के साथ एक न्यूनतम सेवा शुल्क देना होगा जो 100 रुपये तक हो सकता है।
उपनल के एमडी ब्रिगेडियर (सेनि) पीपीएस पाहवा ने इसकी पुष्टि की। उन्होंने बताया कि प्रदेश के हर बड़े शहर में सेंटर बनाने की योजना है। पर, आबादी को देखते हुए पहले चरण में दून और हल्द्वानी को चुना गया है।
यह है योजना
मल्टी सर्विस सेंटर में स्वास्थ्य, बिजली, पानी समेत रोजमर्रा की जरूरत से जुड़ी सेवाएं देने वाले सभी लोगों का डाटा होगा। यदि किसी बुजुर्ग को डाक्टर की अथवा नर्स की आवश्यकता है। अस्पताल जाना है या फिर दवाएं खरीदनी है तो वह सेंटर में फोन कर सकता है। सेंटर में मौजूद कर्मचारी बुजुर्ग के आवासीय लोकेशन के आधार पर संबंधित व्यक्तियों को इसकी सूचना देगा। एक तय चार्ज लेते हुए घर तक सुविधा पहुंचा दी जाएगी। इसी प्रकार मैकेनिक, इलेक्ट्रियन, बिल जमा कराने वाली एजेसियां आदि भी सेंटर से जुड़ी होंगी। सामान्य सुविधाओं को उपनल अपने कर्मियों के जरिए भी घर तक पहंचा सकता है। सेवाओं की संख्या और उन्हें जरूरतमंद तक पहुंचाने के लिए ठोस ड्राफ्ट तैयार किया जा रहा है। जल्द ही इस अंतिम रूप दे दिया जाएगा।
20 लाख से ज्यादा हैं राज्य में उम्रदराज लोग
राज्य में उम्रदराज लोगों की संख्या 20 लाख से ज्यादा मानी जाती है। इनमें साढे़ चार लाख लोग तो वो हैं, समाज कल्याण विभाग से वृद्धावस्था पेंशन ले रहे हैं। पेंशनर्स कर्मचारियों की तादात भी सवा लाख के करीब है। केंद्रीय कर्मचारी, रिटायर सैन्य कर्मियों की संख्या भी अच्छी खासी है। बाकी गैरसरकारी सेक्टर, छोटे-मोटे व्यवसाय, कृषि से जुड़े कारोबार से जुड़े बुजुगों की संख्या भी काफी ज्यादा है। उपनल के सर्विस सेंटर शहरी उच्च एवं मध्यमवर्गीय बुजुर्गों को ध्यान में रखने हुए बनाए जा रहे हैं।