‘सक्षम रौतेला’ बने उत्तराखंड के पहले इंटरनेशनल मास्टर

जिसके साथ ही उन्होंने तीसरा व अंतिम नॉर्म भी हांसिल किया और 103 ईएलओ रेटिंग अंक प्राप्त किए। तीसरा नॉर्म मिलते ही उनका राज्य के पहले अंतर्राष्ट्रीय मास्टर बनने का रास्ता साफ हो गया। ब् शतरंज में आईएम उपलब्धि हासिल करने के लिए 2400 फिडे रेटिंग व तीन आईएम नॉर्म लेने जरूरी हैं। वर्तमान में उनके पास 2480 फिडे रेटिंग के साथ तीनों नॉर्म भी हैं। जिसके चलते उन्होंने शतरंज की विश्व संस्था फिडे के पास आवेदन भेजा है।

पूत के पांव पालने में ही पता चल जाते हैं। इस कहावत को चरितार्थ किया है होनहार शतरंज खिलाड़ी सक्षम रौतेला ने। उसने अपने नाम को सार्थक करते हुए इंटरनेशनल मास्टर का नॉर्म हासिल कर लिया है। यह उपलब्धि पाने वाले वह उत्तराखंड के पहले खिलाड़ी हैं। उनकी सफलता पर पूरे जिले के खेल प्रेमियों में खुशी की लहर है। कंट्रीवाइड पब्लिक स्कूल में कक्षा 11वीं के छात्र सक्षम ने मात्र 14 साल की उम्र में यह कमाल कर दिखाया। उन्होंने 24 से 19 फरवरी तक बोस्निया शहर के बेजेलिजिना आईएम प्रतियोगिता में खेलते हुए 7.5 अंक हासिल किए।

जिस उम्र में बच्चे खेलकूद और किताबों की दुनिया में उलझे रहते हैं, उस उम्र में सक्षम और उनके छोटे भाई सद्भव रौतेला शतरंज जैसे जटिल खेल में रम गए। वर्तमान में दोनों भाई देश और विदेश में जिले का नाम रोशन कर रहे हैं। सक्षम ने 2012 से प्रतियोगिताओं में भागीदारी करना शुरू कर दिया था। अब तक 15 से अधिक अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में खेल चुके हैं।

सक्षम ने कड़ी मेहनत और शानदार खेल से पिछले दो साल में 577 रेटिंग अंक हासिल किए। उनका अगला लक्ष्य ग्रांड मास्टर बनकर जिले और देश का नाम रोशन करना है। जिसके लिए वह ग्रांड मास्टर रह चुके तीन अलग-अलग कोचों से प्रशिक्षण ले रहे हैं। उनके पिता बालम सिंह रौतेला ने बताया कि सक्षम के बाद छोटा बेटा सद्भव भी अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में शानदार प्रदर्शन कर रहा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *