उत्तराखंड में पेंशन के लिए बदले नियम, इन शर्तों को पूरा करने पर ही मिलेगी रकम
अप्रैल महीने में पेंशन उन्ही खातों में पहुंचेंगी, जिनका जीवित प्रमाणपत्र सत्यापित हो गया है। ट्रेजरी कार्यालय में इसे देखते हुए इन दिनों पेंशनरों के सत्यापन का काम भी तेजी से चल रहा है। जिले के मुख्य कोषाधिकारी रोमिल चौधरी ने बताया कि पेंशनरों के सत्यापन की प्रक्रिया सतत चल रही है, जिन पेंशनरों ने अपने जीवित होने का सत्यापन नहीं कराया है, वह जल्द करा लें, नहीं तो पेंशन अटक जाएगी।
उत्तराखंड में पेंशनरों को कोरोनाकाल में जीवित प्रमाणपत्र देने में दी गई छूट खत्म हो गई है। ऐसे में मार्च महीने की पेंशन जो अप्रैल में जारी होगी, वह उन्हीं खातों में जाएगी, जिनका जीवित प्रमाणपत्र सत्यापित होगा। अन्य खातों में पेंशन सत्यापन के बाद जारी की जाएगी। बीते वर्ष मार्च में कोरोना काल की शुरुआत होने के बाद दो बार पेंशनरों को जीवित प्रमाण पत्र के सत्यापन के लिए ट्रेजरी आने में छूट दी गई थी। शासन से दी गई यह छूट अब खत्म हो गई है।
जिले में 23 हजार पेंशनर
जिले में पेंशनधारकों की संख्या करीब 23 हजार है। इसमें देहरादून स्थित मुख्य ट्रेजरी से करीब बीस हजार पेंशनरों को पेंशन जारी होती है। यहां लगातार जीवित प्रमाण देने के लिए पहुंचने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है।
जूनियर और प्राथमिक शिक्षक संघ ने सरकार से पुरानी पेंशन योजना बहाल करने की मांग की है। जूनियर हाई स्कूल शिक्षक संघ के पूर्व जिला अध्यक्ष अनंत सोलंकी ने कहा कि एक जनवरी 2004 को पूरे देश भर में पुरानी पेंशन योजना के स्थान पर नवीन अंशदायी पेंशन योजना लागू किया गया था। इस एनपीएस रूपी काले कानून को वापस लेकर पुरानी पेंशन योजना को लागू करने की मांग को सरकार तक पंहुचाने के लिए शिक्षक और कर्मचारी लंबे समय से चरणबद्ध आंदोलन चला रहे हैं। सरकार कोई कार्रवाई नहीं कर रही है। शुक्रवार को संकुल संसाधन केंद्र हरबर्टपुर में बैठक प्राथमिक एवं जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ की बैठक आयोजित की गयी।