रुड़की: रुड़की की जेल का हाल बेहाल है। यहां पर क्षमता से अधिक बंदियों को रखा गया है। जिसके चलते उन्हें जरूरी सुविधाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। बिना किताबों के ही जेल की लाइब्रेरी चल रही है। जेल में लाइब्रेरी के लिये कोई भवन भी अलग से नहीं है। साथ ही इन्हें सुधारने की मुहिम को भी झटका लग रहा है। जेल में क्षमता से अधिक बंदी होने के चलते इन पर नजर रखना भी जेल प्रशासन के लिये चुनौती बन रहा है।
रुड़की जेल 64 साल पुरानी है। रुड़की जेल में पहले से ही जेल कर्मचारियों की भारी कमी है। इसके बावजूद जेल में क्षमता से अधिक बंदियों को रखा गया है। रुड़की जेल की क्षमता 244 बंदियों की है। इसके सापेक्ष वर्तमान में यहां पर 347 बंदियों को रखा गया है। जिसके चलते जेल प्रशासन को इन पर नजर रखने के साथ ही तमाम तरह की दिक्कतें हो रही हैं। क्षमता से अधिक बंदी होने के चलते बैरकों में बंदियों को रहने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। जेल में लाइब्रेरी के नाम पर खानापूर्ति की गई है। लाइब्रेरी में बस कुछ पुरानी किताबें रखी गई हैं। जो पुरानी किताबें यहां पर हैं वह भी जर्जर हालत में हैं। साथ ही लाइब्रेरी के लिये लाइब्रेरियन की भी तैनाती नहीं है। नयी किताबों के लिये जेल प्रशासन के पास कोई बजट नहीं है। अधिकारी भी जेल की व्यवस्था सुधारने को लेकर कतई गंभीर नहीं हैं।
तीन डिप्टी जेलर की भी कमी
रुड़की: रुड़की जेल में तीन डिप्टी जेलर की बहुत समय से कमी चल रही है। जिसके चलते जेल की व्यवस्थाओं में सुधार नहीं हो पा रहा है। इसके अलावा प्रधान बंदी रक्षक के पद भी खाली हैं। उधर, जेल के बाहर डिप्टी जेलर की हत्या से लेकर गैंगवार की घटना हो चुकी है। जिनके तार जेल के अंदर से ही जुड़े हुए थे। इन सबके बावजूद भी अधिकारी इस तरफ ध्यान नहीं दे रहे हैं।
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वर्जन
जेल में लाइब्रेरी की सुविधा को दुरुस्त करने समेत अन्य सुविधाओं के लिये मुख्यालय से पत्राचार किया गया है। साथ ही स्टॉफ की तैनाती की भी मांग की गई है। मुख्यालय से हरी झंडी मिलने के बाद ही इन सुविधाओं को ठीक किया जा सकेगा।–जेपी द्विवेदी, जेलर रुड़की