क्लीनिकल इस्टेब्लिशमेंट एक्ट में 30 बेड तक के अस्पतालों को राहत, पर्वतीय जिलों में अब ग्रामीणों को मिलेंगी बेहतर स्वास्थ्य सेवाए

स्वास्थ्य विभाग इस संदर्भ में प्रस्ताव तैयार कर रहा है। राज्य में 2019 से क्लीनिकल इस्टेब्लिशमेंट एक्ट लागू हैं। उत्तराखंड के दो हजार छोटे अस्पतालों को बड़ी राहत मिलने जा रही है। सरकार क्लीनिकल इस्टेब्लिशमेंट एक्ट में बदलाव कर 30 बेड तक के अस्पतालों को एक्ट से बाहर करने जा रही है।

उसके बाद से सभी अस्पतालों के लिए एक्ट में पंजीकरण और उसकी शर्तों का पालन करना अनिवार्य है। हालांकि 2020 में कोरोना संक्रमण शुरू होने के बाद से अभी तक एक्ट को लेकर बहुत अधिक सख्ती नहीं की है। लेकिन आने वाले समय में सख्ती होनी है। इसे देखते हुए इडियन मेडिकल एसोसिएशन एक्ट में 50 बेड तक के अस्पतालों को बाहर रखने की मांग कर रहा है।

हाल में सरकार ने एक्ट में बदलाव की हामी भरी थी जिसके तहत स्वास्थ्य विभाग एक्ट में बदलाव का प्रस्ताव तैयार कर रहा है। जिसमें 30 बेड तक के अस्पतालों को रियायत देने का प्रस्ताव तैयार हो रहा है। स्वास्थ्य मंत्री डॉ धन सिंह रावत ने भी कहा कि एक्ट में बदलाव कर छोटे अस्पतालों को राहत दी जाएगी। उन्होंने कहा कि जल्द इस संदर्भ में प्रस्ताव कैबिनेट में लाया जाएगा।

एक बार पंजीकरण के अलावा सभी नियमों से छूट

सूत्रों के अनुसार स्वास्थ्य विभाग के प्रस्ताव में 30 बेड तक के अस्पतालों को एक्ट में एक बार पंजीकरण करना होगा। इसके अलावा उन्हें रिन्यूअल नहीं करना होगा और न ही एक्ट का कोई भी मानक उन पर लागू होगा। इससे अस्पतालों को भवन के मानक, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मानक, डॉक्टर और स्टाफ के अनुपात और भर्ती चार्ज सहित अन्य मानकों से छूट मिल जाएगी। हालांकि यह अनिवार्य होगा कि अस्पताल रजिस्टर्ड डॉक्टर ही संचालित करें।

एक्ट में छोटे अस्पतालों को बाहर रखने के प्रस्ताव से राज्य के आम लोगों को भी राहत मिलेगी। क्योंकि एक्ट लागू होने के बाद से राज्य में छोटे अस्पताल बंद होने का खतरा है। एक्ट की डर से अभी तक राज्य के 107 डॉक्टर अपना क्लीनिक बंद कर चुके हैं। लेकिन एक्ट से इन अस्पतालों को छूट मिल जाती है तो छोटे अस्पताल बंद नहीं होंगे और आम लोग छोटे अस्पतालों में कम खर्च पर इलाज करा सकेंगे।

 

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