उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में वृहद स्तर होगी रैपिड एंटीजन टेस्टिंग
प्रदेश में कोरोना संक्रमण के मामलों में तेजी से उछाल आया है। विशेष रूप से पर्वतीय क्षेत्रों में कोरोना की दूसरी लहर का खासा असर देखने को मिला है। ग्रामीण भी बीते वर्ष की भांति जागरूक नहीं हैं। विवाह व अन्य समारोह में कोरोना के नियम टूट रहे हैं। इसके अलावा विवाह व धार्मिक समारोह के साथ ही प्रवासी भी संक्रमण का कारक रहे हैं। शादी समारोह में जहां कोरोना की गाइडलाइन का बिल्कुल अनुपालन नहीं हुआ, तो वहीं दूसरे राज्यों से आने वालों के रजिस्ट्रेशन और होम आइसोलेशन की व्यवस्था तो की गई लेकिन इनकी सही तरह से निगरानी नहीं हुई।
उत्तराखंड के पर्वतीय जिलों में कोरोना संक्रमण के बढ़ते आंकड़ों को देखते हुए सरकार अब यहां एंटीजन टेस्टिंग कराने पर फोकस कर रही है। पर्वतीय क्षेत्रों के ऐसे गांव, जहां कोरोना संक्रमण के मरीज मिल रहे हैं, उन गांवों में एंटीजन टेस्टिंग सबसे पहले की जाएगी। इसके साथ ही सभी को दवा की किट भी वितरित की जाएगी। मकसद यह कि यह कि कोरोना संक्रमण के प्रसार पर शुरुआत में ही रोक लगाई जा सके।
बीते वर्ष बाहर से आने वाले सभी व्यक्तियों को एक सप्ताह के लिए पंचायत घरों व प्राइमरी स्कूलों में क्वारंटाइन रखा गया था। इतना नही नहीं प्रवासियों को 72 घंटे पहले तक की अवधि की आरटीपीसीआर टेस्ट की निगेटिव रिपोर्ट की अनिवार्यता से मुक्त रखा गया। पर्वतीय व ग्रामीण क्षेत्रों में सीमित व्यवस्था होने के कारण टेस्टिंग भी कम हो रही है। इस कारण संक्रमण फैल रहा है और मामले बढ़ रहे हैं। इसे देखते हुए स्वास्थ्य महकमे ने अब पर्वतीय जिलों में रैपिड एंटीजन टेस्टिंग का निर्णय लिया है।
सचिव स्वास्थ्य अमित नेगी का कहना है कि जहां कोरोना संक्रमण के मामले सामने आएंगे, वहां गांव में संक्रमण जांचने को रैपिड टेस्टिंग कराई जाएगी। लक्षण वाले व्यक्तियों का आरटीपीसीआर टेस्ट किया जाएगा। टेस्टिंग के लिए यहां मोबाइल टेस्टिंग वैन भेजी जा रही है।