स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों ने बताया कि आईसीएमआर ने देश मे जरूरत के अनुसार रैपिड टेस्ट करने की इजाजत दे दी है। दिल्ली सहित कई राज्य इस संदर्भ में निर्णय भी ले चुके हैं। सूत्रों ने बताया कि देहरादून की भगत सिंह कॉलोनी में चार लोगों में स्थानीय स्तर पर संक्रमण पाए जाने के बाद इस बात की आशंका बनी हुई है कि कुछ और लोगों तक भी संक्रमण फैला होगा।
जमातियों के संपर्क में आए लोगों में यदि कोरोना वायरस का संक्रमण नहीं रुका तो इसे काबू करने के लिए उत्तराखंड में रैपिड एंटीबाडी टेस्ट किए जाएंगे। देहरादून सहित राज्य के उन हिस्सों से टेस्ट की शुरुआत करने की तैयारी चल रही है जहां पर अभी तक कोरोना के सबसे अधिक मामले सामने आए हैं।
संक्रमण का पता लगाने और उसे रोकने के लिए वैसे तो सघन जांच चल रही है लेकिन आशंका को पूरी तरह खत्म करने के लिए अब रैपिड टेस्ट की जरूरत महसूस हो रही है। इसके पीछे मकसद यह है कि यह सुनिश्चित हो सके कि किसी भी व्यक्ति में कोरोना वायरस न रह जाए।
- कम्युनिटी संक्रमण की आशंका को खत्म करने के लिए हो सकता है निर्णय
- उत्तराखंड में सील किए इलाकों में कराई जा सकती है लोगों की रैंडम सैंपलिंग
- दून सहित उन हिस्सों से टेस्ट की तैयारी जहां सामने आए हैं सर्वाधिक मामले
कोरोना का कम्युनिटी ट्रांसमिशन रोकने को सरकार ने संक्रमण की ज्यादा आशंका वाले क्षेत्रों में रैपिड एंटीबाडी टेस्ट शुरू करने का निर्णय लिया है। इसके लिए सरकार ने केंद्र से 25 हजार रैपिड जांच किट मांगी गई हैं।
जब कोई व्यक्ति किसी वायरस का शिकार होता है तो उसके शरीर में वायरस से लड़ने के लिए एंटीबॉडीज बनते हैं। रैपिड टेस्ट में इन्हीं एंटीबॉडीज का पता किया जाता है। इसके नतीजे बहुत जल्दी आ जाते हैं । इसलिए इसे रैपिड टेस्ट कहा जाता है। इसमें व्यक्ति का खून का सैंपल लेकर सीरोलॉजिकल से जुड़े टेस्ट किए जाते हैं।
उंगली से महज एक-दो बूंद खून की जरूरत होती है। इससे ये पता चल जाता है कि हमारे इम्यून सिस्टम ने वायरस को बेअसर करने के लिए एंटीबॉडीज बनाए हैं या नहीं। ऐसे में जिन लोगों में कोरोना के संक्रमण के लक्षण कभी नहीं दिखते, उनमें भी ये आसानी से समझा जा सकता है कि वह संक्रमित है या नहीं, या पहले संक्रमित था या नहीं।
राज्य में बीते दो माह में करीब 14 सौ सैम्पलों की कोरोना जांच हुई है। विशेषज्ञ इसे काफी कम मान रहे हैं। उनका कहना है जब तक विदेशियों से संक्रमण की आशंका थी तब तक यह संख्या ठीक थी पर अब जमातियों से संक्रमण की पुष्टि हो गई है तो टेस्टिंग बढ़ाने की जरूरत है।
इसे देखते हुए स्वास्थ्य विभाग भी रैपिड जांच की जरूरत महसूस कर रहा है। अभी तक हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज व एम्स ऋषिकेश में कोरोना की जांच हो रही है। आईआईपी और दून की एक निजी लैब को भी जांच की मंजूरी मिल चुकी है पर उनकी लैब शुरू नहीं हुई हैं। यदि रैपिड जांच शुरू होती है तो स्वास्थ्य विभाग इन लैबों की भी मदद ले सकता है।
उत्तराखंड के ज्यादा प्रभावित क्षेत्रों में रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट शुरू करने का निर्णय लिया गया है। इसके लिए केंद्र सरकार से 25 हजार जांच किट की मांग की गई है। केंद्र से किट मिलते ही संदिग्ध संक्रमितों की रैपिड टेस्टिंग शुरू कर दी जाएगी।