नयी दिल्ली। गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने आज बताया कि केंद्र सरकार ने अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम को ‘कमजोर’ करने के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर कर दी है। साथ ही उन्होंने राजनीतिक पार्टियों से कहा कि वे यह सुनिश्चित करें कि विरोध प्रदर्शन की आड़ में किसी तरह की सांप्रदायिक हिंसा को अंजाम न दिया जाए।
राजनाथ ने उन आरोपों को भी ‘‘निराधार’’ बताया जिनमें राजग सरकार के पिछड़े समुदायों के उत्थान के खिलाफ होने की बात कही गई थी। सिंह ने पत्रकारों से कहा, ‘‘यह सुनिश्चित करना राजनीतिक पार्टियों की नैतिक जिम्मेदारी है कि कहीं भी कोई जातीय या सांप्रदायिक हिंसा न हो।’’ उच्चतम न्यायालय ने 20 मार्च को अपने आदेश में कहा था कि अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति( अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत दर्ज मुकदमों में बिना जांच के किसी भी लोक सेवक को गिरफ्तार न किया जाए और सामान्य नागरिकों को भी कानून के तहत पूछताछ के बाद ही गिरफ्तार किया जाए।
न्यायालय के आदेश का विरोध करते हुए कई दलित संगठनों ने आज भारत बंद आहूत किया है। संसद के बाहर पत्रकारों से बात करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने दलितों की दुर्दशा को लेकर आरएसएस और भाजपा पर हमला बोला और कहा कि वह समुदाय के उन ‘‘भाईयों और बहनों’’ को सलाम करते हैं जो मोदी सरकार से अपने अधिकारों की रक्षा के लिए सड़कों पर उतरे हैं।
संसद के बाहर पत्रकारों से बात करते हुए केंद्रीय मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने कहा, ‘‘केंद्र सुनवाई में पक्षकार नहीं है। इसलिए सामाजिक न्याय मंत्रालय की ओर से एक व्यापक पुनर्विचार याचिका दायर कर दी गई है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘भारत सरकार पूरे सम्मान के साथ यह कहना चाहती है कि वह उच्चतम न्यायालय द्वारा मामले में दिए तथ्यों से सहमत नहीं है।’’