रेलवे देगा रोजगार 1000 प्रवासी मजदूरों को
मिर्जापुर और फतेहपुर के बीच कई बड़ी कंपनियां ट्रैक बिछा रही हैं। कंपनियों के पास कुशल मजदूर थे। लॉकडाउन से एक हजार से अधिक प्रशिक्षित मजदूर अपने गांव चले गए। इस समय काम शुरू करने के लिए कम से कम डेढ़ हजार मजदूरों की जरूरत है। पुराने मजदूर नहीं मिलने पर प्रवासी मजदूरों से काम लेने का निर्णय लिया गया। डीएफसी के महाप्रबंधक ओमप्रकाश ने बताया कि देश के विभिन्न हिस्सों से आए मजदूर फैक्ट्रियों में काम करते थे। इन मजदूरों को ट्रेनिंग मिल जाए तो काम करना आसान होगा।
लॉकडाउन के बीच यूपी में प्रवासी मजदूरों के लिए अच्छी खबर। प्रयागराज में डानकुनी व लुधियाना के बीच मालगाड़ी के लिए अलग ट्रैक बिछाने में प्रवासी मजदूर काम करेंगे। 25 मार्च से शुरू हुए लॉक़डाउन में पूर्वी डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर के तहत बन रहे ट्रैक का काम ठप है। मजदूरों की मदद से काम पुन: शुरू करने की तैयारी की जा रही है। काम के लिए एक हजार से अधिक ऐसे प्रवासी मजदूरों को लिया जाएगा, जिसके पास थोड़ा तकनीकी ज्ञान हो। ट्रैक निर्माण कर रही कंपनियां मजदूरों को विशेष काम का प्रशिक्षण देंगी। इसके बाद यही मजदूर काम करेंगे। कंपनियां मजदूरों के रहने का भी इंतजाम करेंगी।
इस समय काम शुरू करने के लिए प्रवासी मजदूर काफी मददगार हो सकते हैं। डीएफसी के एक अन्य अधिकारी ने बताया कि फ्रेट कॉरिडोर का काम ज्यादा दिनों तक नहीं रोका जा सकता। सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए ट्रैक निर्माण शुरू हो सकता है।