ऋषिकेश। नैनीताल हाई कोर्ट के आदेश के बाद ऋषिकेश में राफ्टिंग पर रोक लगा दी गई है। शनिवार को साढ़े दस बजे नरेंद्र नगर के एसडीएम लक्ष्मीराज चौहान ऋषिकेश पहुंचे और पुलिस अधिकारियों के साथ राफ्टिंग केंद्रों का जायजा लिया। उन्होंने कहा कि अगले आदेशों तक रोक जारी रहेगी। वीक एंड होने के कारण शनिवार को ऋषिकेश में पर्यटकों का सैलाब उमड़ा। बताया जा रहा है कि शनिवार को राफ्टिंग बंद होने से करीब 2000 पर्यटक वापस लौटे।
पिछले दिनों एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने प्रदेश में राफ्टिंग और पैराग्लाइडिंग पर रोक लगाई है। अदालत ने कहा कि साहसिक खेलों के लिए सरकार पहले नियमावली बनाए, इसके बाद ही ऐसे खेल शुरू कराए जाएं। अदालत के आदेश के बाद टिहरी की जिलाधिकारी सोनिका ने नरेंद्रनगर के एसडीएम को ऋषिकेश भेजा।
गंगा में राफ्टिंग बंद होने से पर्यटकों को मायूस लौटना पड़ा तो इस व्यवसाय से जुड़े लोगों के सम्मुख रोजी रोटी का संकट पैदा हो गया है। राफ्टिंंग के प्रमुख केंद्र मुनिकीरेती, कौडियाला ईको टूरिज्म जोन में व्यवसायी अपनी-अपनी राफ्ट को नदी से निकाल कैंपों की ओर लेकर चले गए। इसके अलावा पुलिस और प्रशासन की टीम ने नीमबीच, शत्रुघ्न घाट और खारास्रोत में चली रहीं राफ्टों को रोक दिया गया।
दूसरी ओर राफ्टिंग कारोबार से जुड़े लोगों ने तपोवन के पास ऋषिकेश-बदरीनाथ हाईवे पर जाम लगाकर प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि सरकार पर्यटन व्यवसाय से जुड़े हजारों लोगों की पैरवी नहीं कर रही है।
22 हजार लोगों की रोजी पर संकट
सरकार की उदासीनता राफ्टिंग व्यवसाय से जुड़े लोगों पर भारी पड़ रही है। साहसिक खेलों को लेकर नियमावली न होने से अदालत ने राफ्टिंग समेत ऐसे खेलों पर रोक लगा दी है। इससे अकेले ऋषिकेश क्षेत्र में 22 हजार लोगों का रोजगार प्रभावित हुआ है। ऋषिकेश में 281 कंपनियां राफ्टिंग व्यवसाय से जुड़ी हैं। ये कंपनियां 600 राफ्ट संचालित करती हैं। इनमें गाइड और चालक के तौर पर 7000 कर्मचारी और 15 हजार अप्रत्यक्ष तौर पर जुड़े हुए हैं।